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बाल श्रम 'अस्वीकार्य', उन्मूलन के लिये दूरगामी कार्रवाई का आहवान

बाल श्रम के मुद्दे पर पिछले कुछ दशकों में हालात में बेहतरी दर्ज किये जाने के बावजूद, करोड़ों बच्चे अब भी बाल मज़दूरी के दंश से पीड़ित हैं, और कोविड-19 महामारी के कारण यह समस्या गहराने का जोखिम बढ़ा है. वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, दक्षिण अफ़्रीका के डरबन शहर में आयोजित पाँचवे वैश्विक सम्मेलन में बाल श्रम उन्मूलन के लिये तत्काल ठोस उपायों की पुकार लगाई गई है. नवीनतम आँकड़े दर्शाते हैं कि विश्व भर में 16 करोड़ बच्चे, यानि हर दस में से एक बच्चा, बाल श्रम का शिकार है. वैश्विक महामारी से उपजे विविध प्रभावों के कारण इस संख्या में चिन्ताजनक वृद्धि दर्ज की गई है और दशकों की प्रगति पर जोखिम मंडरा रहा है. यूएन श्रम एजेंसी के अनुसार, 5 से 11 वर्ष आयु वर्ग में बाल मज़दूरों की संख्या में विशेष रूप से वृद्धि देखी गई है. अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर ने दक्षिण अफ़्रीका की मेज़बानी में 15 से 20 मई तक आयोजित हो रहे पाँचवे वैश्विक सम्मेलन के लिये, अपने सम्बोधन में ज़ोर देकर कहा कि बाल श्रम को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है. Day 2 of the 5th Global Conference on the Elimination of Child Labour has just started! In case you missed Day 1, here is a recap. Today, guests from across the globe will speak with one voice conference, united to #endchildlabour. Follow live ➡️ https://t.co/oEvX8k7qDx pic.twitter.com/gSxvn2mngx — International Labour Organization (@ilo) May 16, 2022 “कुछ का यह कहना हो सकता है कि बाल श्रम, निर्धनता का एक ऐसा परिणाम जिसे टाला नहीं जा सकता है, और कि हम इसे स्वीकार कर लें. मगर यह अनुचित है. हम स्वयं को कभी भी बाल श्रम को स्वीकार नहीं करने दे सकते हैं. हमें यह करना भी नहीं है.” यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि पारिवारिक निर्धनता समेत अन्य बुनियादी वजहों से निपटा जाना महत्वपूर्ण है. लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना होगा कि बाल श्रम, एक बुनियादी मानवाधिकार का उल्लंघन है. इस क्रम में, उन्होंने हर बच्चे को, हर स्थान पर बाल मज़दूरी से मुक्ति दिलाये जाने का लक्ष्य स्थापित करने का आहवान किया है. प्रगति पर जोखिम संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास एजेण्डा में 2025 तक बाल श्रम के उन्मूलन और 2030 तक जबरन मज़दूरी का ख़ात्मा किये जाने का लक्ष्य रखा गया है, जोकि टिकाऊ विकास एजेण्डा के आठवें लक्ष्य में उल्लेखित हैं. इन दोनों लक्ष्य की प्राप्ति में अब कुछ ही वर्षों का समय बचा है. मगर, यूएन श्रम एजेंसी के अनुसार, दो दशकों तक सही दिशा में आगे बढ़ने के बाद, वर्ष 2020 में पहली बार बाल श्रम उन्मूलन की प्राप्ति में अवरोध देखा गया है. कोविड-19 महामारी के कारण लाखों बच्चों को मज़दूरी के लिये मजबूर होना पड़ा है. इस पृष्ठभूमि में चर्चा के दौरान अनेक वक्ताओं ने कोविड-19 महामारी से पहले, अनेक क्षेत्रों में दर्ज की गई प्रगति को फिर से बहाल किये जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है. मेज़बान दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कार्यक्रम के दौरान प्रतिनिधियों से दूरगामी क़दम उठाये जाने का आहवान किया, ताकि बच्चों के जीवन में बदलाव लाया जा सके. “हम यहाँ इसलिये हैं, चूँकि हम सभी साझा रूप से मानते हैं कि बाल श्रम अपने सभी रूपों में एक शत्रु है. बाल श्रम, हमारे बच्चों के विकास का शत्रु, और प्रगति का शत्रु है.” “कोई सभ्यता, कोई देश और कोई अर्थव्यवस्था, स्वयं को प्रगति के अग्रिम मोर्चे पर नहीं मान सकती, यदि उसकी सफलता और सम्पदा का निर्माण, बच्चों की पीठ पर किया गया हो.” अफ़्रीका में सम्मेलन यह पहली बार है जब बाल श्रम उन्मूलन पर वैश्विक सम्मेलन, अफ़्रीका में आयोजित किया जा रहा है. आँकड़ों के आधार पर अफ़्रीकी क्षेत्र में सबसे बड़ी संख्या में बाल मज़दूर हैं और यहाँ इसके उन्मूलन की दिशा में प्रगति की गति धीमी रही है. एक अनुमान के अनुसार, अफ़्रीकी महाद्वीप पर बाल श्रमिकों की सर्वाधिक संख्या कृषि में है, जिसे लगभग 70 फ़ीसदी तक आंका गया है. कृषि कार्यों में बच्चे अक्सर अपने परिवार के साथ ज़िम्मेदारी निभाते हैं. इससे पहले, बाल श्रम के मुद्दे पर, अतीत में चार वैश्विक सम्मेलन ब्यूनस आयर्स (2017), ब्राज़ीलिया (2013), हेग (2010) और ओस्लो (1997) में हो चुके हैं. इन सम्मेलनों में बाल श्रम के मुद्दे पर जागरूकता का प्रसार किये जाने, प्रगति की समीक्षा करने, संसाधनों के संगठित उपयोग और एक वैश्विक आन्दोलन के लिये रणनैतिक दिशा स्थापित करने के प्रयास किये जाते हैं. सम्मेलन का समापन, एक कार्रवाई की पुकार के साथ होने की आशा है, जिसमें बाल श्रम के उन्मूलन के लिये उपायों का दायरा व स्तर बढ़ाने और संकल्पों का खाका प्रस्तुत किया जाएगा. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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