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कैंसर दिवस: उपचार व देखभाल में व्याप्त विषमताओं से निपटने पर बल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार, 4 फ़रवरी, को ‘विश्व कैंसर दिवस’ पर कैंसर देखभाल व उपचार में, मौजूदा वैश्विक विषमताओं की तरफ़ ध्यान आकृष्ट करते हुए, उन लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने का संकल्प व्यक्त किया है, जिनके लिये ये अभी तक सपना ही रही हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने इस मौक़े पर कैंसर सम्बन्धी सेवाओं को मज़बूती देने के इरादे से एक फ़्रेमवर्क भी पेश किया है. कैंसर, दुनिया में मौतों के सबसे बड़े कारणों में से है और यह स्वास्थ्य समस्या निरन्तर गम्भीर रूप धारण करती जा रही है. वर्ष 2021 में, विश्व भर में कैंसर के दो करोड़ लोगों में यह बीमारी होने की जानकारी मिली और एक करोड़ लोगों की मौत हुई. Inaccessible care for #cancer reflects the inequalities & inequities of our world. Comprehensive treatment is reportedly available in more than 90% of high-income countries, but less than 15% of low-income countries https://t.co/Rp42D4S7tZ#WorldCancerDay pic.twitter.com/ocuj1SIAhX — World Health Organization (WHO) (@WHO) February 4, 2022 विशेषज्ञों ने आने वाले दशकों में कैंसर मरीज़ों की संख्या में और ज़्यादा वृद्धि होने की आशंका जताई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हर प्रकार के कैंसर का उपचार सम्भव है, अनेक मामलों की रोकथाम की जा सकती है और कुछ मामलों में मरीज़ पूरी तरह ठीक हो सकते हैं. मगर, अन्य बीमारियों की तरह, कैंसर उपचार व देखभाल में विषमताएँ व्याप्त हैं और उच्च- व निम्न- आय वाले देशों में इस खाई को स्पष्टता से देखा जा सकता है. गहरी विषमताएँ एक अनुमान के अनुसार, 90 फ़ीसदी से अधिक उच्च-आय वाले देशों में व्यापक पैमाने पर उपचार उपलब्ध है, लेकिन निम्न-आय वाले देशों में यह केवल 15 प्रतिशत है. उच्च-आय वाले देशों में कैंसर पीड़ित बच्चों के जीवित रहने की सम्भावना 80 प्रतिशत आँकी गई है, जबकि निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में यह घटकर 30 प्रतिशत ही रह जाती है. अधिकतर उच्च-आय वाले देशों में स्तन कैंसर के मामलों में, बीमारी का पता चलने के पाँच वर्ष बाद, 80 प्रतिशत से अधिक मरीज़ जीवित रहते हैं, जबकि भारत में यह 66 फ़ीसदी और दक्षिण अफ़्रीका में 40 प्रतिशत है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा हाल ही में कराया गया एक सर्वेक्षण दर्शाता है कि 78 फ़ीसदी उच्च-आय वाले देशों में, सरकारी स्वास्थ्य वित्त पोषण योजनाओं के ज़रिये कैंसर सम्बन्धी सेवाएँ प्रदान की जाती हैं. मगर, निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में यह महज़ 37 प्रतिशत ही है. यह विषमता दर्शाती है कि कैंसर रोग निदान के कारण, पीड़ित परिवार निर्धनता के गर्त में धँस सकते हैं, विशेषत: निम्नतर-आय वाले देशों में. कोविड-19 महामारी के दौरान यह स्वास्थ्य चुनौती और भी गहरी हुई है. इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस की थीम, कैंसर उपचार व देखभाल में पसरी विषमताओं से निपटने पर ही केन्द्रित है: “closing the care gap”. उपचार व देखभाल उपाय विश्व स्वास्थ्य संगठन, ज़रूरतमन्द देशों में गुणवत्तापरक कैंसर देखभाल के लिये प्रयासरत है. निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और बच्चों में कैंसर के मामलों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है. कैंसर उपचार के लिये व्यापक स्तर पर उपायों के साथ आगे बढ़ने में राष्ट्रीय कैंसर केन्द्रों को महत्वपूर्ण माना गया है. इस क्रम में रोकथाम, निदान, बहु-विषयक उपचार, और समर्थक देखभाल के ज़रिये मरीज़ों के लिये देखभाल व समर्थन सुनिश्चित किया जा सकता है. नया फ़्रेमवर्क विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर केन्द्र की स्थापना और मौजूदा केन्द्रों पर सेवाओं को मज़बूती देने के इरादे से एक फ़्रेमवर्क पेश किया है. नीतिनिर्धारकों, कार्यक्रम प्रबन्धकों व स्वास्थ्य पेशेवरों पर केन्द्रित, Setting Up a Cancer Centre: a WHO-IAEA Framework, नामक इस फ़्रेमवर्क में अति-आवश्यक सेवाओं के लिये ज़रूरी बुनियादी ढाँचों, मानव संसाधनों और उपकरणों पर जानकारी प्रदान की गई है. स्क्रीनिंग कैंसर की रोकथाम व नियंत्रण के लिये नियमित जाँच (Screening) बेहद अहम है, मगर कैंसर कार्यक्रमों के विभिन्न घटकों और उनके संचालन में अक्सर अनेक जटिलताएँ पेश आती हैं. ज़रूरतमन्द देशों में ऐसे मुद्दों पर निर्णय-निर्धारण के लिये, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने दिशानिर्देश जारी किये हैं. OPS-OMS/Sebastián Oliel मेक्सिको में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं का इलाज. रेडियोथैरेपी रेडियोथैरेपी को कैंसर उपचार के लिये एक किफ़ायती, दक्ष और व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किये जाने वाले उपचार के रूप में देखा जाता है. इस विकल्प के ज़रिये क़रीब पचास फ़ीसदी कैंसर मरीज़ों का इलाज किया जा सकता है. मगर निम्नतर-आय वाले देशों में इसकी सुविधा पर्याप्त नहीं है. इस चुनौती पर पार पाने के लिये, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सहयोग से ‘आशा की किरणें’ (Rays of Hope) नामक पहल शुरू की है. इसके ज़रिये, एक योजना की शुरूआत करते हुए अफ़्रीका में ज़रूरतों के अनुसार, सीमित संख्या में सतत और किफ़ायती स्वास्थ्य हस्तक्षेप किये जाएंगे. गुणवत्तापरक कार्यक्रम कोविड-19 महामारी के कारण कैंसर सम्बन्धी सेवाओं व कार्यक्रमों में व्यवधान दर्ज किया गया है. इसके मद्देनज़र, अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और सामुदायिक स्तर पर उच्च-गुणवत्ता वाले कैंसर कार्यक्रमों का दायरा व स्तर बढ़ाया जाना अहम होगा. यूएन एजेंसी ने कहा है कि रचनात्मक सहयोग, संकल्प व एकजुट प्रयासों के ज़रिये, उन लाखों-करोड़ों लोगों को उम्मीद प्रदान की जा सकती है, जिनके लिये अतीत में कैंसर उपचार एक सपना ही रहा है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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