समुद्री मार्ग पर प्रवासियों व शरणार्थियों की रक्षा सुनिश्चित करने की पुकार 

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शरणार्थियों और प्रवासियों की रक्षा के लिये अन्तर-एजेंसी समूह ने सदस्य देशों से समुद्री मार्ग के ज़रिये, प्रवासियों की तस्करी के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार के मामलों की जाँच व मुक़दमे की कार्रवाई का आग्रह किया है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR), अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM), संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), मादक पदार्थों एवं अपराथ पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) और प्रवासियों के अधिकार पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर ने बुधवार को एक साझा वक्तव्य जारी किया है. यूएन एजेंसियों ने ध्यान दिलाया है कि विश्व भर में लोग जटिल हालात से जूझते हुए गरिमा, सुरक्षा व शरण की तलाश में समुद्री मार्गों का रुख़ करते हैं. मगर, सुरक्षित व क़ानूनी विकल्पों के अभाव में, लोगों को अक्सर समुद्री मार्ग से अनियमित प्रवासन और ऐसे तस्करों से मदद लेने के लिये मजबूर होना पड़ता है, जिनके लिये मानव जीवन का मूल्य नहीं है. इस पृष्ठभूमि में, यूएन एजेंसियों के समूह ने सभी सदस्य देशों से, अपने समुद्री क्षेत्रों में लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करने वाली परिस्थितियाँ सृजित करने का आहवान किया है. यूएन एजेंसियों के अनुसार प्रवासियों व शरणार्थियों का अक्सर शोषण किया जाता है, उनके साथ दुर्व्यवहार होता है, तस्करों द्वारा मारा-पीटा भी जाती है. हज़ारों लोगों की अब तक मौत हो चुकी है, और अक्सर उनके शव समुद्री यात्रा के दौरान ग़ायब हो जाते हैं या फिर किनारे पर मिलते हैं. प्रवासियों व शरणार्थियों को ऐसे स्थानों पर जहाज़ से उतरने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है, जहाँ उनके जीवन, सुरक्षा व अन्य मानवाधिकारों की गारण्टी नहीं दी जाती है, और अमानवीय बर्ताव या मनमाने ढँग से हिरासत में लिये जाने का ख़तरा होता है. एजेंसी समूह ने स्पष्ट किया है कि समुद्री मार्ग पर लोगों को बचाये जाने के बाद भी, सदस्य देशों पर प्रवासियों की रक्षा के दायित्व को पूरा किये जाने की आवश्यकता है. दायित्वों का निर्वहन अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, समुद्री मार्ग पर बचाये गए हर व्यक्ति को तत्काल एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाना ज़रूरी है, जहाँ उनके जीवन के लिये जोखिम ना हो, और बुनियादी आवश्यकताओं (भोजन, शरण, स्वास्थ्य) को पूरा किया जा सके. अन्तर-एजेंसी समूह के अनुसार, जीवन रक्षा व मौतों की रोकथाम करना, सदस्य देशों की सामूहिक प्राथमिकता है, और समुद्री क्षेत्र के लिये क़ानून के तहत, मुश्किल में फँसे हर व्यक्ति को बचाया जाना होगा और ज़रूरी सहायता प्रदान की जानी होगी. इस क्रम में, प्रवासियों व शरणार्थियों के लिये ऐसी परिस्थितियाँ सृजित करने पर बल दिया गया है, जिनमें क़ानूनी दर्जे की परवाह किये बग़ैर, मानवाधिकार सिद्धान्तों के लिये सम्मान और मानवीय बर्ताव सुनिश्चित किया जाए. साथ ही यह सुनिश्चित किये जाने का आग्रह किया गया है कि समुद्री यात्रा में बचाये जाने के अभियान के दौरान, परिवारों के बिछुड़ने की घटनाओं की रोकथाम की जा सके. समूह ने देशों से अन्तरराष्ट्रीय व बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूती प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित किया है, ताकि अनियमित प्रवासन को बढ़ावा दे रहे संगठित आपराधिक नैटवर्क से निपटा जा सके. इसके समानान्तर, तस्करी का शिकार प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार के मामलों की जाँच व दोषियों पर मुक़दमे की कार्रवाई की जानी होगी. समूह का कहना है कि नाज़ुक हालात का सामना करने वाले प्रवासियों व शरणार्थियों की त्वरित शिनाख़्त की जानी होगी, विशेष रूप से बच्चों की. आवश्यकता अनुसार बच्चों के लिये अनुकूल प्रक्रियाओं का अनुपालन करना होगा, जहाँ उनकी ज़रूरतों का ख़याल रखा जा सके. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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