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सरकारी अस्पतालों में सुरक्षाबल की मौजूदगी से नाराज बलूचिस्तान के डॉक्टर हड़ताल पर

राहुल कुमार नयी दिल्ली, 30 मार्च: सरकारी अस्पतालों में सुरक्षाबलों की मौजूदगी के विरोध में बलूचिस्तान के डॉक्टर गत सप्ताह से हड़ताल पर हैं। बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक यंग डॉक्टर्स एंड पैरामेडिकल स्टाफ एसोसिएशन ने क्वे टा में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सुरक्षा बलों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया है इसीलिये वे हड़ताल कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधा की मांग को लेकर डॉक्टरों और सरकार के बीच करीब सात माह से तनातनी चल रही है। डॉक्टर मरीजों के लिये दवा, आधुनिक मेडिकल उपकरण, अस्पतालों की स्थिति में सुधार और डॉक्टरों तथा पैरामेडिकल कर्मचारियों की सुरक्षा में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार सरकारी अस्पतालों के निजीकरण का प्रयास कर रही है। भू-राजनीतिक विश्लेषक मार्क किन्रा ने इंडिया नैरेटिव को कहा कि पाकिस्तान में सर्वाधिक गरीबी बलूचिस्तान प्रांत में हैं। यहां की 71.2 प्रतिशत आबादी गरीब है। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 80 प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। अगर स्वास्थ्य क्षेत्र का निजीकरण होता है तो आम लोग निजी अस्पताल के खर्च का वहन नहीं कर पायेंगे। द डॉन के मुताबिक अक्टूबर 2021 से ही डॉक्टर प्रशासन से बातचीत कर रहे हैं और हड़ताल कर रहे हैं ताकि सरकार पर स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर करने का दबाव बने। सरकार के साथ बातचीत के बेनतीजा रहने पर दिसंबर 2021 में डॉक्टरों ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वे टा में मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारियों के आवास की ओर जाने वाली सड़कों को ब्लॉक किया। डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को पैरामेडिकल और नर्सिग स्टाफ भी समर्थन दे रहे हैं। उसके बाद से यह प्रदर्शन लगातार जारी हैं और अक्सर सुरक्षाबलों तथा डॉक्टरों के बीच झड़पें भी हो जाती हैं। अब डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने उनके साथ समझौता किया और उनकी मांगों को पूरा करने के लिये भी कहा लेकिन बाद में वह अपनी बात से मुकर गयी। डॉक्टर स्वास्थ्य सचिव को हटाने और अपने सहकर्मियों को भी जेल से रिहा करने की मांग कर रहे हैं। बलूच समुदाय का बड़ा हिस्सा पाकिस्तानी सुरक्षाबलों की अधिक मौजूदगी से नाराज है। छात्र अपने सहपाठियों को जबरन गायब किये जाने के खिलाफ क्लास का नियमित बहिष्कार करते रहते हैं। पाकिस्तान सेना द्वारा बलूच लोगों के सरकार समर्थित अपहरण और प्रताड़ना के विरोध में इस्लामाबाद में उनके परिजन प्रदर्शन कर रहे हैं। किन्रा कहते हैं कि पाकिस्तान के हिंसा प्रभावित इलाकों के हेल्थकेयर सिस्टम पर की गयी एक केस स्टडी के मुताबिक इस प्रांत के कई इलाकों में स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे नदारद हैं। यह अध्ययन बायोमेड सेंट्रल के कंफ्लिक्ट एंड हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। (यह सामग्री इंडिया नैरेटिव के साथ की गयी व्यवस्था के तहत प्रकाशित हो रही है।) --इंडियानैरेटिव एकेएस/एएनएम

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