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एशिया: चरम मौसम घटनाओं से हज़ारों की मौत, अरबों डॉलर का नुक़सान

चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से, एशिया में वर्ष 2020 में हज़ारों लोगों की मौत हुई है, लाखों विस्थापित हुए हैं और सैकड़ों अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और साझीदार संगठनों की एक नई रिपोर्ट में, इन आपदाओं से बुनियादी ढाँचे और पारिस्थितिकी तंत्रों पर हुए भीषण असर की भी पड़ताल की गई है. वर्ष 2020 में, बाढ़ और तूफ़ान की घटनाओं में, एशिया में क़रीब पाँच करोड़ लोग प्रभावित हुए और पाँच हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है. Extreme weather and #climatechange impacts killed thousands of people, displaced millions and cost hundreds of billions of $ in #Asia in 2020: new WMO @UNESCAP report. Food and water insecurity, health risks and environmental degradation are ⬆️ https://t.co/S5RyfTPYsQ#COP26 pic.twitter.com/G3MtvkifZY — World Meteorological Organization (@WMO) October 26, 2021 यह आँकड़ा पिछले दो दशकों के वार्षिक औसत (15 करोड़ प्रभावित, 15 हज़ार हताहत) से कम है, जोकि एशिया के अनेक देशों में समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों की सफलता का द्योतक है. रिपोर्ट के मुताबिक़, टिकाऊ विकास पर ख़तरा मंडरा रहा है, खाद्य व जल असुरक्षा, स्वास्थ्य जोखिम और पर्यावरण क्षरण उभार पर हैं. साथ ही, रिपोर्ट में एक ऐसे वर्ष में सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का आकलन किया गया है, जब एशियाई देशों को कोविड-19 महामारी से भी जूझना पड़ रहा था. इन हालात में देशों को आपदा प्रबन्धन प्रयासों में अनेक जटिलताओं का सामना करना पड़ा. 'The State of the Climate in Asia 2020' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में भूमि और महासागर के तापमानों के बढ़ने, हिमनदों का आकार घटने, समुद्रों में जमे पानी के सिकुड़ने, समुद्री जलस्तर बढ़ने और चरम मौसम की गम्भीर घटनाओं पर जानकारी प्रदान की गई है. रिपोर्ट दर्शाती है कि हिमालय की चोटियों से लेकर निचले तटीय इलाक़ों, और घनी आबादी वाले शहरी इलाक़ों से लेकर रेगिस्तानों तक, एशिया का हर हिस्सा प्रभावित हुआ है. यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के प्रमुख पेटेरी टालस ने बताया कि मौसम व जलवायु जोखिम, विशेष रूप से बाढ़, तूफ़ान और सूखे की घटनाओं से क्षेत्र में अनेक देश प्रभावित हुए हैं. इससे कृषि और खाद्य सुरक्षा पर असर हुआ है, विस्थापन बढ़ा है और प्रवासियों, शरणार्थियों और विस्थापितों के लिये हालात कठिन हुए हैं, मौसम और पर्यावरण में बदलाव गहन होते चक्रवाती तूफ़ानों, मॉनसून वर्षा और बाढ़ के कारण, दक्षिण एशिया और पूर्व एशिया में बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित हुए हैं. मौजूदा हालात, चीन, बांग्लादेश, भारत, जापान, पाकिस्तान, नेपाल और वियत नाम में लाखों लोगों के विस्थापित होने की वजह बने हैं. उदाहरणस्वरूप, मई 2020 में, बेहद शक्तिशाली चक्रवाती तूफ़ान ‘अम्फन’ से भारत और बांग्लादेश का सुन्दरबन इलाक़ा प्रभावित हुआ, जिससे भारत में 24 लाख लोग और बांग्लादेश में 25 लाख लोग विस्थापित हुए. बताया गया है कि ग्लेशियर का आकार घटने, ताज़े पाने के संसाधनों में कमी आने के रुझान से, भविष्य में एशिया में जल सुरक्षा व पारिस्थितिकी तंत्रों पर भीषण असर होने की आशंका है. प्रवाल भित्तियों (coral reefs) में गिरावट से खाद्य सुरक्षा पर भी नकारात्मक असर होगा. मैनग्रोव, तटीय इलाक़ों के संरक्षण के नज़रिये से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मानवीय गतिविधियों, समुद्री जल स्तर में वृद्धि और जल तापमान बढ़ने से उन पर दबाव बढ़ रहा है. कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है. Sonam Wangchuk भारत के लद्दाख़ हिमालय क्षेत्र में गर्मियों के दौरान पानी की कमी से निपटने के लिए कृत्रिम हिमनद (ग्लेशियर). ये परियोजना सोनम वांगचुक के विचार पर आधारित थी. रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1990 से 2018 तक, भूटान, चीन, भारत और वियत नाम ने अपने वन आच्छादित क्षेत्र का आकार बढ़ाया है. मगर, म्याँमार, कम्बोडिया सहित अन्य देशों में इसमें कमी आई है. आर्थिक क़ीमत रिपोर्ट के अनुसार चरम मौसम की घटनाओं की आर्थिक क़ीमत बढ़ रही है और मौजूदा बुनियादी ढाँचों का एक बड़ा हिस्सा, अनेक जोखिमों का सामना कर रहे इलाक़ों में स्थित हैं. इसके मद्देनज़र, प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान आने की आशंका बढ़ जाती है. उदाहरण के तौर पर, एक-तिहाई ऊर्जा संयंत्र, फ़ाइबर-ऑप्टिक केबल नैटवर्क और हवाई अड्डे, और सड़क आधारित 42 फ़ीसदी बुनियादी ढाँचा, एशिया-प्रशान्त के ऐसे इलाक़ों में हैं, जोकि प्राकृतिक जोखिमों की दृष्टि से सम्वेदनशील माने जाते हैं. चक्रवाती तूफ़ानों, बाढ़ और सूखे से औसत वार्षिक नुक़सान, सैकड़ों अरब डॉलर होने का अनुमान जताया गया है. एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के लिये यूएन आर्थिक एवं सामाजिक के अनुसार, चीन में 238 अरब डॉलर का नुक़सान, भारत में 87 अरब डॉलर और जापान में 83 अरब डॉलर का नुक़सान आंका गया है. एशिया के अनेक क्षेत्रों में, टिकाऊ विकास के 13वें लक्ष्य (जलवायु कार्रवाई) को हासिल करने के प्रयासों को झटका लगा है, और त्वरित ढँग से सहनक्षमता निर्माण के अभाव में एसडीजी लक्ष्यों को पाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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