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अफ़ग़ानिस्तान: यूनीसेफ़, ज़मीन पर मदद के लिये मुस्तैद

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ के मैदानी अभियानों व आपात कार्यों के मुखिया मुस्तफ़ा बेन मसूद ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में, लड़ाई का आम लोगों, ख़ासतौर से बच्चों पर बहुत व्यापक असर हुआ है, और यूनीसेफ़ की टीमें ज़मीन पर सहायता मुहैया कराने के लिये मुस्तैद हैं. उन्होंने, मंगलवार को, जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत में, काबुल व अन्य स्थानों पर जल्द ही, हालात बेहतर होने की उम्मीद भी जताई. As UNICEF's work continues in #Afghanistan we're calling for attacks on children to end, hard-won girls’ rights, including access to education to be protected, and humanitarian access maintained.https://t.co/mFmKAKdZZ5 — UNICEF (@UNICEF) August 17, 2021 उन्होंने बताया कि पिछले एक पखवाड़े के दौरान, उन्होंने कन्दाहार, हेरात और काबुल का दौरा किया है और देखा कि लड़ाई का सीधा असर आम जीवन पर किस तरह हुआ है. “घायल बच्चों से लेकर, ऐसे बच्चों तक जो अत्यन्त गम्भीर रूप से कुपोषित हैं." "बच्चों को इन हालात में देखकर, अपनी भावनाएँ या प्रतिक्रिया बयान करना बहुत मुश्किल है, इन बच्चों में कुछ की उम्र तो केवल 10 महीने थी.” मुस्तफ़ा बेन मसूद ने कहा कि काबुल में हालात बेहतर हो रहे हैं. उन्होंने बताया, “पिछले सप्ताह, हमारी टीम ने, देश के भीतर ही विस्थापित हुए लोगों (IDPs) के लिये बनाए गए एक शिविर का दौरा किया था और वहाँ यूनीसेफ़ की स्वास्थ्य टीमों द्वारा किये गए काम का जायज़ा लिया." "जैसाकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है, ये कामकाज पिछले कुछ दिनों के दौरान रुक गया है, मगर उम्मीद है कि ये जल्द शुरू हो जाएगा. काफ़ी व्यापक दायरे वाली ज़रूरतें सामने हैं जिन्हें पूरा करने के लिये हमारी मुस्तैदी की ज़रूरत है.” महिलाओं व बच्चों पर गम्भीर असर उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में हर दिन गुज़रने के साथ, तीव्र होती लड़ाई, देश की महिलाओं और बच्चों को व्यापक व गम्भीर रूप में प्रभावित कर रही है. “वर्ष 2021 शुरू होने के बाद से अब तक, 550 बच्चों की मौत हो चुकी है और 1400 से ज़्यादा घायल हुए हैं.” उन्होंने बताया कि देश की लगभग आधी आबादी, यानि क़रीब एक करोड़ 80 लाख लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है जिसमें लगभग एक करोड़ बच्चे हैं. इन सभी लोगों की मदद करने के लिये, यूनीसेफ़ को निर्बाध पहुँच व सुरक्षा की दरकार है. मुस्तफ़ा बेन मसूद का कहना था कि अफ़ग़ानिस्तान, अनेक वर्षों से, बच्चों के लिये, इस पृथ्वी पर, सबसे ख़तरनाक स्थानों में से एक रहा है. पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान ये और भी ज़्यादा बदतर हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर तुरन्त ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो यूनीसेफ़ का अनुमान है कि वर्ष 2021 के अन्त तक, 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 10 लाख बच्चे, गम्भीर कुपोषण की चपेट में आ जाएंगे. यूनीसेफ़ ने, बच्चों के अधिकारों का हनन होने पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की है, ख़ासतौर से सशस्त्र गुटों द्वारा, बच्चों को लड़ाई के लिये भर्ती किये जाने पर. यूनीसेफ़ ने तालेबान और अन्य सभी पक्षों से एक बार फिर आग्रह किया है कि वो अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाएँ, और महिलाओं व लड़कियों सहित, तमाम लोगों के अधिकारों व ज़िन्दगियों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करें. मुस्तफ़ा बेन मसूद ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ते संकट के बावजूद, देश भर में, बच्चों व परिवारों के लिये, यूनीसेफ़ का काम जारी रहेगा. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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