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अफ़ग़ानिस्तान: सूखा-पीड़ित किसानों व पशुपालकों के समक्ष एक विशाल संकट

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने चेतावनी जारी की है कि अफ़ग़ानिस्तान में किसानों और पशुपालकों पर विनाशकारी और अकाल जैसी परिस्थितियाँ का संकट मंडरा रहा है और सर्दी के मौसम की शुरुआत के बाद हालात और भी बदतर हो सकते हैं. यूएन एजेंसी ने शुक्रवार को बताया की क़ीमतों में उछाल आ रहा है, जबकि संसाधनों व आपूर्ति की तुलना में ज़रूरतों का स्तर तेज़ी से बढ़ रहा है. अफ़ग़ानिस्तान में यूएन के प्रतिनिधि रिचर्ड ट्रैनचार्ड ने कहा कि हालात संकटपूर्ण हैं. “हमने जिस भी किसान से बात कही, उन्होंने इस साल अपनी पूरी फ़सल का नुक़सान हुआ, अपने मवेशियों को बेचने के लिये मजबूर होना पड़ा है, वे विशाल कर्ज़ के बोझ में हैं और कोई धन नहीं है.” Farmers don't die when they're in their fields. They die when they're forced to abandon their farms. Protecting rural livelihoods is a core element of the immediate emergency humanitarian response to Afghanistan’s crisis, in addition to other lifesaving support. Here's how👇 pic.twitter.com/LChguURUp3 — FAO in Afghanistan (@FAOAfghanistan) November 18, 2021 यूएन एजेंसी के मुताबिक़, एक करोड़ 88 लाख अफ़ग़ान हर दिन अपने परिवार के लिये भरपेट भोजन का प्रबन्ध करने में सक्षम नहीं हैं. इस वर्ष के अन्त तक, यह आँकड़ा बढ़कर दो करोड़ 30 लाख पहुँच जाने की आशंका जताई गई है. सूखे की समस्या से शुरू हुआ संकट अब आर्थिक आपदा में तब्दील हो गया है. हर 10 में से 9 बड़े शहरी केंद्रों को अत्यधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कर्ज़ बढ़ रहा है और बचत ख़त्म होती जा रही है. बताया गया है कि सूखे ने एक व्यापक क्षेत्र को पहले से ही अपनी चपेट में ले लिया था और अब हालात और भी ख़राब हो रहे हैं. किसानों और पशुपालकों पर, वर्ष 2022 में लगातार दूसरे साल, सूखे से प्रभावित होने की चुनौती गहरा रही है. आजीविका की रक्षा इन हालात में, वर्ष 2022 में अकाल का एक बेहद वास्तविक ख़तरा उत्पन्न हो जाएगा, जिसे टालने के लिये तत्काल, व्यापक स्तर पर आमजन की सहायता व उनकी आजीविका की रक्षा के लिये समर्थन की पुकार लगाई गई है. देश के सुदूर पश्चिम में हेरात प्रान्त के ज़ेन्दाजान ज़िले का दौरा, सूखे से सर्वाधिक प्रभावित 25 ज़िलों में है. इस ज़िले का दौरा करने के बाद, यूएन अधिकारी ने बताया कि लोगों के पास अब उधार लेने के लिये कोई साधन या व्यक्ति नहीं बचा है. धन का इन्तज़ाम करने के लिये, लोग कुछ भी बेचने के लिये मजबूर हो रहे हैं. कृषि, अफ़ग़ानिस्तान में आजीविका की रीढ़ है और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिये बेहद महत्वपूर्ण है. देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाक़ों में रहती है, और क़रीब 80 प्रतिशत आजीविकाएं खेतीबाड़ी या पशुपालन पर आधारित हैं. यूएन प्रतिनिधि रिचर्ड ट्रैनचार्ड ने कहा कि व्यापक स्तर पर फैले सूखे की वजह से, परिवारों के पास फ़िलहाल खाने के लिये कुछ नहीं है – पैदावार में 80 से 90 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है. उन्होंने हेरात की सड़कों पर पीड़ा का प्रत्यक्ष अनुभव करने के बाद, मानवीय राहत में विशाल बढ़ोत्तरी किये जाने का आहवान किया है. तत्काल सहायता की अपील यूएन एजेंसी ने कहा है कि सर्दी व वसन्त के मौसम तक, 50 लाख पुरुषों, महिलाओं व बच्चों तक सहायता पहुँचाने के लिये, 11 करोड़ 50 लाख डॉलर की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त, आजीविकाओं को ध्वस्त होने से बचाने और विस्थापन की रोकथाम के लिये, वर्ष 2022 में साढ़े आठ करोड़ डॉलर की अतिरिक्त ज़रूरत बताई गई है. यूएन एजेंसी का कहना है कि गेहूँ की खेती के लिये सहायता पैकेज के तहत, 157 डॉलर की लागत से एक किसान परिवार की अनाज ज़रूरतों को एक वर्ष के लिये पूरा किया जा सकता है. खाद्य एवं कृषि संगठन, इस क्रम में, 34 में से 31 प्रान्तों में, सर्दी के दौरान गेहूँ के मौसम के लिये ये पैकेज वितरित करने के लिये प्रयासरत है. इस पैकेज में उच्च गुणवत्ता वाले व स्थानीय स्तर पर आपूर्ति किये गए, प्रमाणित गेहूँ के बीजों और तकनीकी प्रशिक्षण को मुहैया कराया जा रहा है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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