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अफ़ग़ानिस्तान: 'शान्ति प्राप्ति के लिये, महिलाओं को नेतृत्व का मौक़ा ज़रूरी', मिशेल बाशेलेट

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान को शान्ति और प्रगति हासिल करनी है तो, अफ़ग़ान महिलाओं को नेतृत्व करने के लिए स्थान दिया जाना होगा जबकि वो चाहे शान्ति निर्माता, मानवतावादी या निर्णायक ताक़तों के रूप में साहसपूर्वक अपने समुदायों को आगे बढ़ा रही हैं. मिशेल बाशेलेट ने अफ़ग़ानिस्तान की यात्रा के दौरान, वहाँ महिलाओं की बात सुनी है और देश की सत्ता पर वास्तविक ताक़त - तालेबान अधिकारियों के साथ भी महिलाओं और लड़कियों के गम्भीर मानवाधिकार हनन को रोकने के लिये तत्काल आवश्यकता के बारे में भी बात की है. Afghan #women have been attacked & excluded, “but this has not stopped them from advocating courageously for their #rights & creating networks of support,” says @mbachelet from #Afghanistan on #IWD2022. “They are not passive bystanders.” https://t.co/rtXDZe46T1 pic.twitter.com/39cMPsAvRA — UN Human Rights (@UNHumanRights) March 10, 2022 मिशेल बाशेलेट ने कहा कि अफगान महिलाओं को अपनी बात रखने के लिये धमकियाँ मिली हैं, उन्हें हमलों का निशाना बनाया गया है और सत्ता के पदों से बाहर रखा गया है. साहसी पैरोकार मिशेल बाशेलेट ने गुरुवार को राजधानी काबुल से कहा, "मगर ऐसे हालात भी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिये साहसपूर्वक हिमायत करने और समर्थन नैटवर्क बनाने से नहीं रोक सके हैं." "वे निष्क्रिय दर्शक नहीं हैं." मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा कि अफ़ग़ान महिलाएँ वास्तव में, युद्ध, अत्यधिक निर्धनता और अकथनीय हिंसा का सामना करते हुए, अपने परिवारों की गुज़र-बसर और समुदायों की रक्षा के लिये अथक प्रयास कर रही हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लड़कियों को स्कूल और विश्वविद्यालय जाकर शिक्षा हासिल करने का मौक़ा मिलना चाहिये, और अपने देश के भविष्य में मजबूत योगदान करने के लिये सशक्त बनना चाहिये. पुलिस बल, क़ानून की अदालतों, सरकार और निजी क्षेत्र, यानि तमाम सार्वजनिक जीवन के हर एक क्षेत्र में स्पष्ट रूप से, महिलाओं का प्रतिनिधित्व नज़र आना चाहिये. मिशेल बाशेलेट ने कहा कि इसके अलावा, अफग़ान महिलाओं को प्रतिशोध के डर के बिना शान्तिपूर्वक प्रदर्शन करने, समाज में समस्याओं के बारे में खुलकर बोलने और महत्वपूर्ण स्थानों पर बराबरी का स्थान पाने का बराबर अधिकार है ताकि वो अपनी वास्तविकताओं और मांगों का हल निकालने वाले समाधान निकाल सकें. मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने, अपने गृह देश चिले में रक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य करने के अनुभव का ज़िक्र करते हुए कहा कि वो अनुभव पर आधारित अपनी समझ से बोलती हैं कि स्थाई शान्ति, आर्थिक विकास और स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, न्याय "और उनसे भी आगे" के अधिकारों की प्राप्ति के लिये, लड़कियों व महिलाओं को शामिल किये जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि 8 मार्च को मनाए गए अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में, "मैं दुनिया भर की महिलाओं के साथ खड़ी हूँ. और मैं आज; और हर दिन अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों के साथ खड़ी हूँ." © UNICEF/Frank Dejo अफ़ग़ानिस्तान में कुछ लड़कियाँ एक रोबोटिक्स परियोजना पर काम करते हुए. अधिकारों का हनन, विकास में बाधक यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और देश में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की प्रमुख डेबोरा लियोन्स ने, 8 मार्च को ज़ोर देकर कहा था कि महिलाओं को निर्बाध आने-जाने, कामकाज करने, सार्वजनिक जीवन और शिक्षा में भागीदारी के अधिकारों से वंचित किये जाने से, देश के लिये अधिकतम आर्थिक विकास की सम्भावनाएँ सीमित हो रही हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "महिलाओं और लड़कियों को उनके जीवन के सभी क्षेत्रों में अवसर की समानता को बढ़ावा देने के लिये और अधिक किये जाने की आवश्यकता है." इसी तरह की बात मरियम सफ़ी ने भी की, जिन्होंने - 2 मार्च को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए - अगस्त 2021 में तालेबान द्वारा सत्ता पर नियंत्रण किये जाने के बाद से, महिलाओं के अधिकारों में तेज़ी से गिरावट की ओर ध्यान दिलाया. डेबोरा लियोन्स ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, "महिलाओं के अधिकारों का दमन, अफ़ग़ानिस्तान के लिये, तालिबान के दृष्टिकोण के नज़रिये से, केन्द्रीय प्रतीत होता है." भागीदारी के लिये विशिष्ट शासनादेश उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में दो दशकों के दौरान, शान्ति निर्माण प्रयास हस्तक्षेपकारी, बाहर से संचालित, ऊपर से नीचे और तकनीकी रहे हैं, क्योंकि शक्तिशाली देशों ने अपने स्वयं के उद्देश्यों के लिये इन हालात का शोषण किया है. उन्होंने कहा कि उन स्थितियों को देखते हुए, UNAMA के पास सभी प्रक्रियाओं में महिलाओं की पूर्ण, सुरक्षित, समान और सार्थक भागीदारी का समर्थन करने के लिये, एक स्पष्ट शासनादेश होना चाहिये. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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