Big diplomatic victory: कतर में मौत की सज़ा पाए 8 भारतीय नौसैनिक रिहा किए गए, 7 स्वदेश लौटे

Big diplomatic victory: भारत को एकबार फिर बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौ सैनिकों को रिहा कर दिया गया है।
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नई दिल्ली, (हि.स.)। भारत को एकबार फिर बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौ सैनिकों को रिहा कर दिया गया है जिनमें से सात नौ सैनिक वापस लौट चुके हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में इसकी जानकारी दी गई है।

अब अमीर के आदेश पर इन पूर्व नौ सैनिकों की रिहाई कर दी गई है

ये आठों पूर्व नौसैनिक जासूसी के आरोप में कतर की जेल में बंद थे। अदालत ने इन्हें मौत की सजा सुनाई थी। जिसके बाद भारत के लिए इनकी रिहाई बड़ी चुनौती बनी हुई थी। भारत के अनुरोध पर कतर के अमीर ने पहले ही इन नौसैनिकों की मौत की सजा को कम करते हुए उम्रकैद में बदल दिया था। अब अमीर के आदेश पर इन पूर्व नौ सैनिकों की रिहाई कर दी गई है जिसका भारत ने स्वागत किया है।

उनमें से आठ में से सात भारतीय सुरक्षित भारत लौट आए हैं

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया, 'भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए अल-दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। उनमें से आठ में से सात भारतीय सुरक्षित भारत लौट आए हैं।' मंत्रालय ने कहा, 'हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित करवाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।'

इनकी रिहाई के लिए कतर और भारत के बीच राजनयिक वार्ता चल रही थी

कतर की अदालत ने जब भारत के आठ पूर्व नौ सैनिकों की सजा का ऐलान किया तो भारत ने इसके खिलाफ अपील की थी। इसका फायदा यह हुआ कि 28 दिसंबर, 2023 को आठों भारतीय नागरिकों को सुनाई गई मौत की सजा पर रोक लगा दी गई। इनकी रिहाई के लिए कतर और भारत के बीच राजनयिक वार्ता चल रही थी। जिसके बाद नौसैनिकों की मौत की सजा को बढ़ी हुई जेल की सजा में बदल दिया गया।

ये अक्टूबर, 2022 से ही कतर की जेल में बंद थे

उल्लेखनीय है कि कतर की जेल में कैद ये आठों भारतीय पहले नौसेना में काम करते थे। इनके ऊपर कथित तौर पर कतर के सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने का आरोप था, जिसके बाद आठों को गिरफ्तार किया। ये अक्टूबर, 2022 से ही कतर की जेल में बंद थे। कतर की अदालत ने आठों भारतीयों को जासूसी का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी।

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