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हाइपरटेन्शन की अवस्था वाले 70 करोड़ लोगों को नहीं मिल पा रहा इलाज

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि 30-79 वर्ष आयु वर्ग में हाइपरटेन्शन - उच्च या बढ़ा हुआ रक्तचाप – की अवस्था वाले वयस्कों की संख्या पिछले 30 वर्षों में 65 करोड़ से बढ़ कर एक अरब 28 करोड़ पहुँच गई है. इनमें से 70 करोड़ लोगों को इस स्वास्थ्य समस्या का इलाज उपलब्ध नहीं है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और इम्पीरियल कॉलेज लन्दन रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में हाइपरटेन्शन की दर में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है, और इस अवस्था में रह रहे लोगों की संख्या बढ़ने के मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि और उम्र ही बताया गए हैं. The number of adults aged 30-79 living with #hypertension has doubled from 650 million to 1.28 billion since 1990, according to a 🆕 comprehensive global 🌎🌍🌏 analysis of trends in hypertension prevalence, detection, treatment and control. 👉 https://t.co/MI48CX2kEO pic.twitter.com/ARpS8uipeY — World Health Organization (WHO) (@WHO) August 25, 2021 ‘द लॉन्सेट’ में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक इनमें से लगभग आधे लोगों को अपनी हाइपरटेन्शन की अवस्था के बारे में जानकारी नहीं थी. हाइपरटेन्शन की अवस्था से हृदय, मस्तिष्क और गुर्दे की बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है. विश्व भर में यह मौत और बीमारी के सबसे बड़े कारणों में है. इम्पीरियल कॉलेज लन्दन में प्रोफ़ेसर और वरिष्ठ शोधकर्ता माजिद ने कहा कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विफलता है कि दुनिया में इतनी अधिक संख्या में उच्च रक्तचाप वाले लोगों का उपचार नहीं हो पा रहा है. बताया गया है कि हाइपरटेन्शन के फैलाव, निदान, उपचार व नियंत्रण के विषय में यह पहली बार है जब वैश्विक रूझानों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है. विस्तृत विश्लेषण इस अध्ययन में प्राथमिक चिकित्सकों व शोधकर्ताओं के एक वैश्विक नैटवर्क के ज़रिये वर्ष 1990 से 2019 की अवधि का विश्लेषण किया गया है. इस क्रम में, 184 देशों में 30 से 79 वर्ष आयु वर्ग में 10 करोड़ लोगों के ब्लड प्रेशर के मापन और उपचार सम्बन्धी आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया. धनी देशों में हाइपरटेन्शन की दर बहुत कम है जबकि निम्न व मध्य आय वाले देशों में यह बढ़ गई है. उदाहरण के तौर पर, कैनेडा, पेरू और स्विट्ज़रलैण्ड में वर्ष 2019 में हाइपरटेन्शन की अवस्था के साथ रहने वाले व्यक्तियों की संख्या सबसे कम थी. वहीं, डॉमिनिकन रिपब्लिक, जमैका और पैराग्वे में महिलाओं और हंगरी, पैराग्वे व पोलैण्ड में पुरुषों में, हाइपरटेन्शन की दर सबसे अधिक है. घर या किसी स्वास्थ्य केंद्र पर रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को माप कर हाइपरटेन्शन की अवस्था के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है. साथ ही कम क़ीमतों वाली दवाओं के ज़रिये इसका आम तौर पर उपचार भी सुनिश्चित किया जा सकता है. रिपोर्ट बताती है कि हाइपरटेन्शन के उपचार में वैश्विक स्तर पर पसरी विषमता एक बड़ी चुनौती है. निदान व उपचार में पसरी खाई इसके बावजूद हाइपरटेन्शन की अवस्था में रह रहे 58 करोड़ व्यक्तियों (41 फ़ीसदी महिलाएँ, 41 प्रतिशत पुरुष) को निदान के अभाव में इस स्वास्थ्य समस्या से अनभिज्ञ थे. साथ ही, इस अवस्था में रह रहे 72 करोड़ लोगों को ज़रूरत के अनुरूप उपचार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, इनमें 53 प्रतिशत महिलाएँ और 62 प्रतिशत पुरुष हैं. रक्तचाप को नियंत्रण में लाने के लिये दवाओं के ज़रिये उपचार, हर चार में से एक महिला व हर पाँच में से एक पुरुष के लिये ही सम्भव हो पा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक कैनेडा, आइसलैण्ड और कोरिया गणराज्य में हाइपरटेन्शन को क़ाबू में लाने के लिये पुरुषों व महिलाओं को दवाएँ उपलब्ध होने की सम्भावना सबसे अधिक है. वर्ष 2019 में, इन देशों में हाइपरटेन्शन की अवस्था वाले 70 प्रतिशत लोगों का उपचार किया गया. मगर, सब-सहारा अफ़्रीका, मध्य, दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में हाइपरटेन्शन के उपचार के लिये दवाएँ उपलब्ध होने की सम्भावना सबसे कम है. यह आँकड़ा महिलाओं के लिये 25 फ़ीसदी और पुरुषों के लिये 20 प्रतिशत ही है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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