अफ़ग़ान लोगों को आर्थिक संकट से उबारने के लिये 'जन अर्थव्यवस्था' कोष
संयुक्त राष्ट्र ने गुरूवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था बिखर जाने के कगार पर पहुँच गई है और आने वाले महीनों में, केवल तीन प्रतिशत घरों को छोड़कर, बाक़ी पूरी आबादी के, ग़रीबी की रेखा से नीचे चले जाने की आशंका प्रबल है. आम अफ़ग़ान लोगों की मदद करने के लिये, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने “जन अर्थव्यवस्था” कोष शुरू किया है जिसके ज़रिये तत्काल ज़रूरतमन्द लोगों को नक़दी मुहैया कराई जाएगी. इस कार्यक्रम के तहत, उस दानराशि को हासिल करने की कोशिश की जाएगी जिसे अगस्त में तालेबान का नियंत्रण स्थापित हो जाने के बाद ‘फ़्रीज़’ कर दिया गया है. यूएनडीपी के प्रमुख अख़िम स्टाइनर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि अगले 12 महीनों के दौरान लगभग 66 करोड़ डॉलर की रक़म की ज़रूरत होगी जिसमें, जर्मनी पहले ही, क़रीब पाँच करोड़ 80 लाख करोड़ डॉलर की रक़म देने का वादा कर चुका है. यूएनडीपी प्रशासक अख़िम स्टाइनर ने कहा कि लगभग तीन करोड़ 80 लाख ऐसे लोग वहाँ बसते हैं जिन्हें हम केवल बाहर रहकर, जीवित रखने में मदद नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, “हमें वहाँ दाख़िल होना होगा, हमें आम लोगों की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाना होगा, और हमें लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने के साथ-साथ, उनकी आजीविकाएँ और आमदनियाँ भी बचानी होंगी.” “नहीं तो सर्दियों के आगामी मौसम में और अगले वर्ष में भी, हमें ऐसे हालात का सामना करना पड़ेगा जहाँ करोड़ों अफ़ग़ान लोग, अपनी ज़मीन पर, अपने घरों में और अपने गाँवों में रहते हुए, जीवित नहीं रह सकेंगे.” अर्थव्यवस्था को बिखरने से बचाना अख़िम स्टाइनर ने बताया कि यूएनडीपी अब, संसाधनों की तैनाती के लिये, अन्य दानदाताओं के साथ सम्पर्क में है. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गत सप्ताह, पूरे विश्व से, अफ़ग़ानिस्तान के इस बेहद नाज़ुक दौर में, तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया था. यूएन प्रमुख ने याद दिलाया था कि मानवीय सहायता मुहैया कराने से लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जाती हैं, मगर उन्होंने साथ ही, चेतावनी भरे शब्दों में ये भी कहा था कि “अगर अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था बिखर जाती है तो, केवल मानवीय सहायता से समस्या का समाधान नहीं होगा.” स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में जान फूँकना यूएनडीपी प्रशासक अख़िम स्टाइनर ने कहा कि अफ़ग़ान लोगों को मानवीय सहायता की तत्काल ज़रूरत है, मगर स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भी क़ायम रखे जाने की ज़रूरत है. ऐसा किया जाना इसलिये ज़रूरी है ताकि लोगों की आमदनी और आजीविकाएँ चलती रहें और उन्हें यह भी भरोसा रहे कि उनके समुदायों में ही उनका एक भविष्य है. इस नए कार्यक्रम के तहत, सामुदायिक समूहों और लोक निर्माण कार्यक्रमों में अफ़ग़ान कर्मियों को सीधे तौर पर नक़दी मुहैया कराई जाएगी. इनमें सूखा और बाढ़ नियंत्रण जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News