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‘इण्टरनैट गवर्नेंस फ़ोरम’ – सर्वजन के लिये समावेशी डिजिटल भविष्य को बढ़ावा 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 16वीं ‘इण्टरनैट गवर्नेंस फ़ोरम’ को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया है कि कोविड-19 महामारी ने सर्वजन के लिये सुलभ व सुरक्षित इण्टरनैट व्यवस्था की अहमियत को रेखांकित किया है. उन्होंने कहा कि डिजिटल टैक्नॉलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के साथ पनप रही चुनौतियों से निपटने के लिये एकजुट कार्रवाई की आवश्यकता है. पोलैण्ड के कैटोविच शहर में आयोजित इस फ़ोरम में सात हज़ार से ज़्यादा नवाचारी, बड़ी कम्पनियों के अधिकारी, युवजन, मंत्री व सांसद हिस्सा ले रहे हैं. इस फ़ोरम की थीम ‘Internet United’ है, और इस दौरान सर्वजन के लिये एक खुले, सुरक्षित व निशुल्क डिजिटल भविष्य के निर्माण की दिशा में प्रयास तेज़ किये जाने पर चर्चा होगी. "The pandemic has magnified the digital divide and the dark side of technology. We can only address these challenges united, through strengthened cooperation." Watch the message of UN Secretary-General @antonioguterres to #IGF2021👇 Learn more: https://t.co/a9VpLoo6Bq pic.twitter.com/FPEUCNUn6r — UN DESA (@UNDESA) December 7, 2021 वैश्विक सहयोग अहम यूएन महासचिव ने कहा कि वैश्विक संकट ने इण्टरनैट की जीवन बदल कर रख देने वाली क्षमता को रेखांकित किया है, और डिजिटल टैक्नॉलॉजी से लाखों लोगों के लिये कामकाज, पढ़ाई-लिखाई और सामाजिकता निभाने में मदद मिली है. इसके बावजूद, कोरोनावायरस संकट ने डिजिटल विभाजन और टैक्नॉलॉजी के स्याह पक्ष को और भी ज़्यादा पैना किया है. उन्होंने कहा कि तेज़ गति से भ्रामक सूचनाओं का फैलाव इसका एक उदाहरण है. यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा, “हम इन चुनौतियों से एकजुटता और मज़बूत सहयोग के ज़रिये ही निपट सकते हैं.” “मानवाधिकारों व बुनियादी स्वतंत्रताओं की रक्षा के लिये स्पष्ट नियमों को स्थापित करके, डेटा पर फिर से नियंत्रण हासिल करके, ग़लत सूचनाओं व हेट स्पीच से निपट करके, और हर किसी को वर्ष 2030 तक इण्टरनैट से जोड़ करके.” महासचिव गुटेरेश ने कहा कि एक खुले, स्वतंत्र, सुरक्षित और सर्वजन के लिये सुलभ डिजिटल जगत पर विचार-विमर्श को बढ़ावा देने में इस फ़ोरम की एक अहम भूमिका है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा यह बैठक हर वर्ष आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य इण्टरनैट व्यवस्था के मुद्दे पर सम्वाद को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों व अनुभवों को साझा करना और उभरते मुद्दों की शिनाख़्त करना है. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान, इण्टरनैट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. इण्टरनैट इस्तेमाल में वृद्धि कोविड-19 महामारी के दौरान इण्टरनैट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी है. यह आँकड़ा वर्ष 2019 में चार अरब 10 करोड़ से बढ़कर अब चार अरब 90 करोड़ तक पहुँच गया है. दो वर्ष की अवधि में 78 करोड़ से अधिक लोगों ने इण्टरनैट का इस्तेमाल शुरू किया है, जोकि अमिरकी आबादी का दोगुना है. यूएन विभाग के मुताबिक़, इण्टरनैट जवाबदेही के अभाव में, भड़काऊ, नफ़रत भरे सन्देशों व भाषणों, हिंसक चरमपंथ और वैश्विक महामारी के सम्बन्ध में भ्रामक सूचनाएँ फैल रही हैं. डेटा उल्लंघन की घटनाएँ भी बढ़ी हैं, और इसके समानान्तर, डिजिटल हिंसा, साइबर माध्यमों पर डराये-धमकाये जाने, ऑनलाइन उत्पीड़न में भी वृद्धि हुई है. महिलाओं व लड़कियों के लिये विशेष रूप से चुनौतियाँ बढ़ी हैं, चूँकि ऑनलाइन माध्यमों पर अक्सर उन्हें निशाना बनाया जाता है. विश्व भर में, क़रीब तीन अरब लोगों के पास इण्टरनैट इस्तेमाल की सुविधा नहीं है, जिनमें से अधिकाँश विकासशील देशों में रहते हैं. सर्वजन के लिये डिजिटल भविष्य कोविड-19 महामारी के डिजिटल भूदृश्य पर हुए असर के मद्देनज़र, इण्टरनैट गवर्नेंस फ़ोरम के ज़रिये, दुनिया के लिये एक डिजिटल भविष्य के वादे को साकार करने में मदद मिल सकती है. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग के अवर महासचिव लियू झेनमिन ने कहा कि यह कोविड-19 संकट को अवसरों में तब्दील करना होगा. “निसन्देह, इसे करने की तुलना में कहना ज़्यादा आसान है, चूँकि वैश्विक इण्टरनैट व्यवस्था जटिल है. मगर, एक साथ मिलकर, हम सफल हो सकते हैं.” पाँच दिन तक चलने वाली इस फ़ोरम में 250 से अधिक सत्र आयोजित किये जाएँगे, जिसमें आर्थिक समावेशन, ऑनलाइन माध्यमों पर मानवाधिकारों की रक्षा, सार्वभौमिक सुलभता और अर्थपूर्ण कनेक्टिविटी सहित अन्य मुद्दों पर चर्चो होगी. इसके अलावा, निम्न चार मुद्दों पर भी साझा समाधान ढूँढने के प्रयास किये जाएंगे: ई-कचरा व पर्यावरण, डेटा व उपभोक्ता संरक्षण, डिजिटल सहयोग, और भरोसा, सुरक्षा व स्थिरता. इस फ़ोरम के दौरान हुई चर्चा और इसके नतीजों से सार्वजनिक और निजी सैक्टर में नीति-निर्माण में मदद मिलने की उम्मीद है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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