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'नफ़रत फैलाव का मुक़ाबला करने में, शिक्षा है एक शक्तिशाली औज़ार'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को कहा है कि बढ़ते ध्रुवीकरण व असहिष्णुता से, दुनिया भर में नफ़रत को ईंधन मिल रहा है. उन्होंने इस “वैश्विक अग्नि तूफ़ान” का सामना, शिक्षा की ताक़त से करने के लिये आयोजित एक ऑनलाइन मंच का उदघाटन करते हुए ये बात कही. दो दिन के इस आयोजन में शिक्षकों, युवजन, सिविल सोसायटी संगठनों, मानवाधिकार विशेषज्ञों, टैक्नॉलॉजी व सोशल मीडिया कम्पनियों और सरकारों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की है. 🟥 #HateSpeech causes psychological, emotional and physical harm. 🟩 We invite you to an online forum to address hate speech through education. 🚨Register ASAP as there are limited places. Let's all educate against #HateSpeech ⤵️ https://t.co/oDMIlQPww7 pic.twitter.com/K7RW48OAXy — UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳😷 (@UNESCO) September 29, 2021 नफ़रत के ख़िलाफ़ लामबन्दी यूएन प्रमुख ने कहा, “दुनिया भर में, सार्वजनिक चर्चा व मंचों को खुरदुरा बनाया जा रहा है, लोकतांत्रिक मूल्य ख़तरे में हैं, और सामाजिक सौहार्द्र को कमज़ोर किया जा रहा है.” साथ ही, सोशल मीडिया, नफ़रत भरी भाषा की आग में घी डाल रहा है क्योंकि घृणा भरी बातें व सन्देश, इतनी तेज़ी से फैलते हैं जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई. यूएन प्रमुख ने कहा कि यह बहुत ख़तरनाक और डरावनी बात है क्योंकि हम जानते हैं कि नफ़रत के फैलाव के अभाव में, बड़े पैमाने वाली हिंसा कभी नहीं उभरती है. “नफ़रत भरी भाषा एक ऐसा ईंधन है जो आग भड़काता है – और यह शान्ति, स्थिरता, टिकाऊ विकास और मानव गरिमा के हमारे साझा उद्देश्यों के लिये, सीधा ख़तरा है.” यूएन महासचिव ने नफ़रत भरी भाषा पर संयुक्त राष्ट्र की रणनीति और कार्रवाई योजना की तरफ़ ध्यान दिलाया जिसमें इस मुद्दे पर व्यापक परिदृश्य में विचार किया गया है. इस रणनीति में नफ़रत फैलाव की जड़ों, नफ़रत को भड़काने वाले तत्वों और पीड़ितों व समाजों पर इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की गई है. मानवाधिकारों के लिये सम्मान यूएन प्रमुख ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद के समय में, वजूद में आने के बाद से ही, संयुक्त राष्ट्र ने, विश्व को, सभी प्रकार की घृणा के ख़िलाफ़ सक्रिय करने और मानवाधिकारों की हिफ़ाज़त व हिमायत करने के लिये काम किया है. उन्होंने कहा कि नफ़रत भरी भाषा व सन्देशों के फैलाव का मुक़ाबला करने के प्रयास मानवाधिकारों की बुनियाद पर टिके होने चाहिये. “हमारी रणनीति में, शिक्षा को घृणा भरी भाषा और सन्देशों का मुक़ाबला करने और उनसे निपटने के एक शक्तिशाली औज़ार के रूप में पहचान दी गई है. शिक्षा में, लोगों के भीतर, मानवाधिकारों, विविधता, सामाजिक न्याय व लैंगिक समानता के लिये सम्मान के मूल्यों का बीज बोने की सामर्थ्य समाई हुई है.” उन्होंने कहा कि शिक्षा में, लोगों में ऐसी रचनात्मक व आलोचनात्मक सोच पैदा करने की क्षमता भी समाई होती है जिसकी ज़रूरत, नफ़रत फैलाने वाले तत्वों को चुनौती देने के लिये होती है. इस ऑनलाइन मंच का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक और वैज्ञानिक संगठन – यूनेस्को और जनसंहार की रोकथाम व संरक्षा के लिये ज़िम्मेदारी मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय ने किया था. शान्ति को योगदान दुनिया भर में नफ़रत का फैलाव रोकने में, शिक्षा को मज़बूत करने के इर्द-गिर्द सहमति बनाने के उद्देश्य से, 26 अक्टूबर को, शिक्षा मंत्रियों का एक वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. गुरूवार का ये ऑनलाइन फ़ोरम उसी सम्बन्ध में आयोजित किया गया. जनसंहार की रोकथाम पर विशेष सलाहकार ऐलिस वाईरीमू न्डेरीतू का कहना है, “संयुक्त राष्ट्र ने घृणा भरी भाषा के फैलाव का मुक़ाबला करने के लिये, शिक्षा को एक औज़ार के रूप में इस्तेमाल करने की प्रतिबद्धता जताई है. गुणवत्ता वाली, औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा प्राप्ति आसान बनाकर, हम समावेशिता और शान्ति में योगदान कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, “विशेष रूप में, सकारात्मक सन्देश फैलाकर और ऐसे सन्देशों का विस्तार करके जो नफ़रत, विभाजन व भेदभाव के ख़तरों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाएँ और उन्हें शिक्षित करें, ख़ासतौर से ऐसे देशों व भाषाओं में जहाँ नफ़रत बहुत ज़्यादा प्रचलित है और उससे हिंसा फैलने का बहुत ज़्यादा ख़तरा है.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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