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जीवनरक्षक सहायता ज़रूरतों में 10 प्रतिशत वृद्धि, तत्काल कार्रवाई की अपील

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत मामलों में समन्वय (UNOCHA) के लिये अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, विश्व भर में बढ़ती मानवीय राहत आवश्यकताओं पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस वर्ष, ज़रूरतमन्द लोगों की संख्या में अब तक 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो चुकी है. आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स के अनुसार 69 देशों में क़रीब 30 करोड़ 30 लाख लोगों को मानवीय सहायता व संरक्षण की आवश्यकता है, जबकि दिसम्बर 2021 में यह संख्या 27 करोड़ 40 लाख थी. "The world’s attention is elsewhere. But we must give these people choices so their children will have the slightest possibility to survive into the next day."@UNReliefChief shares an urgent message during his visit to the #HornofAfrica as the region battles its worst drought. pic.twitter.com/PZlJ8kOkTv — UN Humanitarian (@UNOCHA) May 16, 2022 उन्होंने कहा कि ये आँकड़े मानव पीड़ा की एक दुखद तस्वीर पेश करते हैं. यूएन एजेंसी का लक्ष्य अपनी योजनाओं के ज़रिये 20 करोड़ से अधिक लोगों तक सहायता पहुँचाना है, और यह आँकड़ा भी दिसम्बर 2021 में अनुमानित संख्या की तुलना में अब 10 प्रतिशत अधिक है. “और हमें जितनी धनराशि की ज़रूरत है, वो 41 अरब डॉलर से बढ़कर आज 46 अरब डॉलर हो गई है – पाँच अरब डॉलर अधिक.” “दानदाताओं ने हमारी जवाबी योजनाओं के लिये, उदारतापूर्वक अब तक छह अरब डॉलर की राशि का योगदान दिया है." मगर, उन्होंने सचेत किया कि अतिरिक्त धनराशि के ज़रिये, मानवीय राहतकर्मी केवल बढ़ती क़ीमतों को ही पूरा कर पाए हैं, और जिस समस्या से निपटने की आवश्यकता है, उस पर कुछ ख़ास असर नहीं हुआ है. “बढ़ती खाई की यह एक ऐसी समस्या है, जिसे हमें दुनिया भर में झेलना पड़ रहा है. यह निसन्देह वास्तविक है और सिर्फ़ गणित भर नहीं है, और इसके उन लोगों के लिये गम्भीर नतीजे हैं, जिनकी हम मदद करना चाहते हैं.” सर्वाधिक ज़रूरतमन्द यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों में है, जहाँ साढ़े तीन करोड़ लोग गुज़ार-बसर करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में पिछले चार वर्षों से पर्याप्त वर्षा ना होने से संकटपूर्ण हालात हैं, और इथियोपिया, सोमालिया व केनया में एक करोड़ 80 लाख लोग सूखे से पीड़ित हैं. “उनमें से बहुत से लोग भूखे हैं, वो नहीं जानते कि उन्हें उस दिन भोजन मिलेगा भी या नहीं.” मानवीय राहत मामलों के प्रमुख ने अतिरिक्त संकल्पों के लिये आभार प्रकट किया, मगर कहा कि समय बीता जा रहा है. “सरकारों व समुदायों के साथ मिलकर आगामी महीनों में वैकल्पिक आजीविका के लिये प्रयासों की बात छोड़िये, हमें तो ज़िन्दगियों की रक्षा करने के लिये ही तत्काल धन की आवश्यकता होगी.” यूक्रेन से सहेल तक उन्होंने चिन्ता जताई कि सहेल क्षेत्र में परिस्थितियाँ बेहद ख़राब हैं और लाखों लोगों के लिये गुज़र-बसर करना बेहद कठिन हो रहा है. एक अनुमान के अनुसार, अगले तीन महीनों में लगभग एक करोड़ 80 लाख लोगों को गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा, जोकि पहले से ही हिंसा, असुरक्षा, निर्धनता, बुनियादी सेवाओं की विफलता और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से खाद्य क़ीमतों में उछाल से पीड़ित हैं. “मैंने यह प्रत्यक्ष रूप से, लोमोपस में 600 घर-परिवारों वाले एक छोटे से गाँव में देखा, बढ़ती खाद्य क़ीमतों और भोजन के अभाव के बीच की रेखा सीधी है.” यूएन एजेंसी के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक़, बुरकिना फ़ासो, चाड, माली और निजेर में हालात बेहद चिन्ताजनक स्तर पर पहुँच गए हैं. जून और अगस्त महीनों के दौरान लगभग 17 लाख लोगों के आपात स्तर पर खाद्य असुरक्षा और गम्भीर कुपोषण का सामना करने का जोखिम है. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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