
नई दिल्ली, हि.स.। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के पास लंबित 10 विधेयकों के मामले में तमिलनाडु सरकार की याचिका पर 1 दिसंबर तक के लिए सुनवाई टाल दी है। राज्यपाल ने ये विधेयक सरकार को वापस भेज दिए थे। इसके बाद तमिलनाडु विधानसभा ने 18 नवंबर को इन्हें दोबारा पारित किया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्यपाल को इन पर विचार कर फैसला लेने के लिए समय दिया है।
राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट आने का इंतजार क्यों करते हैं
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया तब राज्यपाल ने 13 नवंबर को विधेयक वापस भेज दिया। ये विधेयक 2020 से लंबित थे। राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट आने का इंतजार क्यों करते हैं। तब अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि विवाद केवल उन विधेयकों को लेकर है जिसमें राज्य विश्वविद्यालयों में नियुक्ति में राज्यपाल की शक्तियों को वापस लेना है।
SC ने 12 विधेयकों को लंबे समय से लंबित रखने पर गहरी चिंता की व्यक्त
10 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा राज्य विधानसभा से पारित 12 विधेयकों को लंबे समय से लंबित रखने पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी, मुकुल रोहतगी और पी विल्सन ने कहा था कि राज्यपाल एन रवि ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित 12 विधेयकों को लटका रखा है। इनमें राज्य सरकार की ओर से कैदियों की समय पूर्व रिहाई, तमिलनाडु लोक सेवा आयोग में नियुक्ति इत्यादि से संबंधित फाइलें शामिल हैं।
तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल पर लगाए आरोप
तमिलनाडु सरकार की याचिका में कहा गया है कि राज्य के राज्यपाल आरएन रवि ने विधानसभा की ओर से पारित 12 विधेयकों पर अपनी सहमति की मुहर नहीं लगाई है। तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल लोकसेवकों पर अभियोजन की अनुमति देने संबंधी फाइल और कैदियों की समय से पहले रिहाई से जुड़ी फाइलों को दबाकर बैठ गए हैं। तमिलनाडु सरकार ने मांग की है कि राज्यपाल को इन फाइलों को समयबद्ध तरीके से निस्तारित करने का दिशा-निर्देश पारित किया जाए।
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