महिला सुरक्षा पर बोलीं IAS सोनल- सड़क पर चलते समय हमेशा रहें सतर्क, आपात स्थिति में ना खोएं आत्मविश्वास

आइएएस अधिकारी के तौर पर सोनल गोयल हमेशा सामाजिक मुद्दों से जुड़ी रही हैं। इससे पहले भी उन्होंने समाज-सेवा के क्षेत्र में कई सार्थक पहल की हैं।
IAS सोनल
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। पीतमपुरा के रंगमहल बस्ती में आयोजित आत्मरक्षा कार्यक्रम में त्रिपुरा की रेजिडेंट कमिश्नर सोनल गोयल ने युवतियों से अपनी सुरक्षा को लेकर सजग रहने की सलाह दी और कहा कि खुद को शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनाना जरूरी है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आइएएस अधिकारी सोनल ने युवतियों से कहा कि वे सड़क पर चलते समय हमेशा सतर्क रहें और किसी आपात स्थिति में अपना आत्मविश्वास न खोएं, बल्कि बहादुरी के साथ मुकाबला करें। उन्होंने पढ़ाई के दौरान अपना अनुभव भी साझा किया और बताया कि वे जब दिल्ली में कालेज में पढ़तीं थीं तो अपने साथ पिन रखती थीं। यह कार्यक्रम सर्व हितम् मानव सेवा संस्थान व जीवन स्तंभ फाउंडेशन की ओर से आयोजित किया गया।

सामाजिक मुद्दों से है विशेष लगाव

यहां पर बता दें कि एक आइएएस अधिकारी के तौर पर सोनल गोयल हमेशा सामाजिक मुद्दोंसे जुड़ी रही हैं। इससे पहले भी उन्होंने समाज-सेवा के क्षेत्र में कई सार्थक पहल की हैं। त्रिपुरा के गोमती ज़िले में डीएम एवं कलेक्टर रहने के दौरान सोनल ने ‘नंदिनी’ नाम से एक पहल की थी। इस मुहिम का मकस गोमती ज़िले में महिलाओं के वेलफेयर को प्रोटेक्ट करना और उन्हें बढ़ावा देना था। त्रिपुरा में रहते हुए ही उन्होंने अपनी स्टाफ की महिला ओंको दोहरे दबाव से बचाने के लिए ऑफिस में ही क्रैश की सुविधा शुरू की थी। इस प्रकार वह देश की महिलाओं को स्वावलंबी और निडर बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रही हैं।

सेल्फ़-डिफ़ेंस प्रोग्राम की ज़रूरत क्यूँ?

पिछले दिनों देश की राजधानी में घटी एक बर्बर घटना का उल्लेख करते हुए IAS अधिकारी सोनल गोयल ने देश की युवतियों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से सशक्त रहने के महत्व गिनाए। उन्होंने अपने सम्बोधन में उन बातों का भी ज़िक्र किया जो महिलाओं को उनकी स्वयं की रक्षा करने में सहायता कर सकती हैं। जैसे की युवतियाँ सड़क पर चलते समय सतर्क रहें, आत्मविश्वास से चलें और अपने आस-पास सभी का निरीक्षण करती रहें। किसी भी संभावित झगड़े या टकराव से जहां तक हो सके बचने की कोशिश करें। फिर भी अगर ऐसी किसी आपात स्थिति का सामना करना ही पड़े तो, ख़ुद को बचाने के लिए जितनी जल्दी हो सके, जवाबी हमला करके कम से कम समय में अधिकतम क्षति पहुँचाएँ। हमलावर से तेज़ी से अलग होने के लिये उसके संवेदनशील अंगों पर हमला करें एवं जितनी जल्दी हो सके वहाँ से दूर भागकर किसी की सहायता लें। साथ ही साथ उन्होंने युवतियों को अपने लक्ष्यों को पूरा करने एवं अपने भविष्य का निर्माण करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

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