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पुलिस हिरासत में मरियम्मा की मौत पर हाईकोर्ट ने दिए न्यायिक जांच करवाने के आदेश

हैदराबाद, 25 जून (हि.स.)। हाई कोर्ट ने यादाद्रि भोनगीर जिला पुलिस हिरासत में मरियम्मा की मौत की न्यायिक जांच करवाने के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को हाई कोर्ट के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रामचन्दर राव तथा न्यायाधीश जस्टिस टी. विनोद कुमार की खंडपीठ ने मरियम्मा की मौत के मामले में जिले के अलेरू के न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को न्यायिक जांच करने के आदेश दिए।

खंडपीठ ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर मरियम्मा का शव बाहर निकाल कर उसका दोबारा पोस्टमार्टम करें। मामले की जांच रिपोर्ट मुहरबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करें।कोर्ट में राज्य सरकार के महाधिवक्ता बीएस प्रसाद ने कहा कि मरियम्मा की मौत पर प्रशासन ने मजिस्ट्रियल जांच करने के आदेश दे दिए हैं। इसके लिए न्यायिक जांच कराने की आवश्यकता नहीं है।

प्रसाद ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार पुलिस थाने में यदि किसी की हिरासत की मौत होती है तब उसकी जांच कार्यवाहक मजिस्ट्रेट से करने का प्रावधान है। लेकिन हाई कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि मरियम्मा की मौत पुलिस थाने में ही हुई है। इसकी वास्तविकता जानने के लिए ही जांच के आदेश दिए गए है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जून तय की है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शशिकिरण ने दलील ने बताया कि पुलिस ने चोरी करने के संदेह में मरियम्मा, उसके पुत्र और मित्र को अड्डागुडुर पुलिस ने गत 16 जून को पुलिस थाने में ले गई थी। आरोप है कि पुलिस की प्रताड़ना के बाद मरियम्मा की पुलिस थाने में 18 जून को मौत हो गई थी। जबकि गंभीर रूप से घायल उसके पुत्र का अस्पताल में चिकित्सा जारी है।

पुलिस हिरासत में मरियम्मा की मौत की न्यायिक जांच, पीड़ित परिवार को पांच करोड़ रुपये मुआवजा देने और उसकी मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए पीपुल्स यूनियन सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने हाई कोर्ट में एक जनहित दायर की है। हिन्दुस्थान समाचार/ नागराज

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