
नई दिल्ली, हि.स.। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार मामले में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर किए गए संशोधन को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल याचिका पर फैसला आने तक दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जयंत नाथ दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अंतरिम अध्यक्ष बने रहेंगे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को जस्टिस जयंत नाथ को दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया था। दिल्ली के उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच विवाद के चलते काफी समय से पद खाली था। सुप्रीम कोर्ट ने 21 जून को जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी।
दिल्ली सरकार के पास कदम उठाने का अधिकार नहीं
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि केंद्र सरकार दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और नियुक्ति के लिए अध्यादेश ले आई और उप-राज्यपाल ने उसके तहत नियुक्ति कर दी। यह सही नहीं है, क्योंकि दिल्ली का प्रशासन दिल्ली सरकार को चलाना है।
सिंघवी ने कहा था कि दिल्ली सरकार वोटरों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन उसके पास कदम उठाने का अधिकार नहीं है। सिंघवी ने कहा दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट दिल्ली की जनता को फ्री बिजली देने का स्कीम चलाई, लेकिन उपराज्यपाल ने स्कीम को बंद कर दिया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने की गई दलील का किया विरोध
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अभिषेक मनु सिंघवी की दलील का विरोध करते हुए कहा था कि मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा न कर तथ्यों पर दलील देनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि वह कानून के सवाल पर सुनवाई करेगा जिसमें कोर्ट यह तय करेगा कि डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को है या उप-राज्यपाल का।
अन्य खबरों के लिए क्लिक करें :- www.raftaar.in