
लखनऊ, हि.स.। राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम मिश्रा ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि हमारे देश में प्रति वर्ष लगभग 15-20 लाख लोगों की हृदयघात से मृत्यु हो जाती है अर्थात प्रतिदिन लगभग 5500 लोग वक्त से पूर्व ही काल के गाल में समा जाते हैं।
इसका मुख्य कारण है समय पर समुचित इलाज का ना मिलना तथा आम जनता के मध्य जीवन रक्षक, कौशल और प्रशिक्षण की कमी होना है। देश में हृदयघात मृत्युदर का इतना अधिक होने का यही सबसे बड़ा कारण है। इसलिए उन्होंने विद्यार्थियों एवं युवाओं को जीवन प्राथमिक स्वास्थ्य सहायता, सीपीआर, रक्षक कौशल प्रशिक्षण आदि को शैक्षणिक करीकुलम का अनिवार्य हिस्सा बनाने की मांग की है।
हृदयघात से बचने का उपाय
अनुपम मिश्रा ने लिखा है कि हृदयघात से बचाने का सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रेसस्टिसेशन) एक बेहद कारगर तरीका है। हृदय गति रुकने की स्थिति में इसका प्रयोग कार्डिएक अरेस्ट के दौरान किया जाता है। वैसे तो कार्डिएक अरेस्ट होने से पहले कोई लक्षण दिखाई नहीं देते और यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है, फिर भी यदि आपके सामने किसी को हृदयघात हो जाए तो उसे तुरंत सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।
इस प्रक्रिया में मरीज को आर्टिफिशल तरीके से ऑक्सीजन दी जाती है ताकि ब्रेन को ऑक्सीजन मिलती रहे। कार्डिएक अरेस्ट के समय सीपीआर से मरीज के बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है, क्योंकि यदि 03 मिनट तक ब्रेन को ऑक्सीजन नहीं मिले, तो ब्रेन काम करना बंद कर देता है।
कार्डिएक अरेस्ट के दौरान दिल की गति एकदम थम जाती है। देश में हृदय की बढ़ती समस्या को देखते हुए खासकर पोस्ट कोविड के बाद यह जिस प्रकार से युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है उसे दृष्टिगत रखते हुए हर स्कूल के बच्चों को इस सम्बन्ध में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में वह आपताकालीन परिस्थितियों के दौरान किसी की जान बचा सके।
सीपीआर का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाय
उन्होंने कहा कि देश के सभी स्कूल-कॉलेजों के छात्रों और शिक्षकों के लिए सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाय। आश्चर्य का विषय है कि आम जनता के बीच जीवन रक्षक कौशल और प्रशिक्षण की कमी भारत में हृदयघात मृत्युदर के अधिक होने का सबसे मुख्य कारण होने के बावजूद आज तक इस पर कोइ ठोस कदम नहीं उठया गया और न इस संबन्ध में कोइ नीति बनायी गयी।
अनुपम मिश्रा ने प्रधानमंत्री से निवेदन में आगे कहा
अनुपम मिश्रा ने प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए लिखा है कि विलम्ब से ही सही पर अब वह समय आ गया है जब विद्यार्थियों-युवाओं को प्रशिक्षित किया जाय और यह कार्य तत्काल युद्ध स्तर पर शुरु किया जाय, क्योंकि प्रत्येक घण्टे पर लगभग 225-250 लोग और हर मिनट 3-4 लोग मौत के मुंह में समां रहे हैं जिसका प्रमुख कारण समय पर समुचित इलाज का ना मिलना है।
विद्यार्थियों के माध्यम से हम एक ऐसे समुदाय के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं जो अगले कुछ वर्षों में ही इस दिशा में उत्कृष्ट बदलाव का कारण बन जायेगा। इनको जीवन रक्षक तकनीकों के साथ प्रशिक्षित करके, हम जीवित रहने की दर में सुधार कर सकते हैं। साथ ही इस प्रकार देश के लाखों लोगों को असमय मौत के मुंह से बचा सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया को भी भेजा पत्र
रालोद राष्ट्रीय संयोजक अनुपम मिश्रा ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि स्वास्थ्य संबंधी इस गंभीर समस्या को दृष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री तत्काल कोई ठोस निर्णय लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री को इस हेतु यथाशीघ्र कार्यवाही को लेकर निर्देशित करेंगे, ताकि इसे देश के सभी स्कूलों व कॉलेजों के करीकुलम में सम्मिलित करा कर लागू करवाया जा सके। रालोद राष्ट्रीय संयोजक ने पत्र की एक प्रति डॉ. मनसुख मंडाविया, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार तथा एक प्रति उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री एंव स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को भी प्रेषित की।
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