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हिंदी पत्रकारिता के प्रति विद्यार्थी जी की सेवा और समर्पण आजीवन रही बेमिसाल

गणेश युगीन पत्रकारिता हिंदी पत्रकारिता का स्वर्णिम काल माना जाता है। हिंदी पत्रकारिता के पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी के बताए या दिखाए रास्ते पर चलकर ही पत्रकारों ने देश और समाज की सेवा की अलख जगाई है। प्रताप के पहले ही अंक में उन्होंने ‘प्रताप की नीति’ नामक लेख में क्लिक »-www.prabhasakshi.com

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