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मैन ऑन द मिशन: कैसे रॉकिंग स्टार यश ने कन्नड़ सिनेमा को नई जिंदगी दी

एम.के. अशोक बेंगलुरू, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। दिग्गज अभिनेता डॉ राजकुमार के निधन के बाद कई लोगों ने कन्नड़ फिल्म उद्योग के अस्तित्व पर संदेह जताया था। भारत के सर्वश्रेष्ठ सिनेमाघरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली बैक टू बैक सुपर हिट देने के बावजूद कन्नड़ फिल्म उद्योग को हमेशा तेलुगु, तमिल, हिंदी और मलयालम उद्योगों की तुलना में निम्न के रूप में देखा जाता था। अब, केजीएफ चैप्टर-1 और केजीएफ चैप्टर-2 फिल्मों के साथ अपनी स्थापना के बाद पहली बार, कन्नड़ फिल्म उद्योग ने व्यावसायिक सफलता और स्वीकार्यता के मामले में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित किया है। रॉकिंग स्टार यश के नाम से मशहूर सुपरस्टार यश का शुक्रिया, जिन्होंने इसे संभव बनाया। छह साल पहले जब यश ने सुपरहिट फिल्म देने की बात बार-बार की तो किसी ने विश्वास नहीं किया। उनका कहना था कि फिल्म ऐसी होगी कि दर्शक सीटी बजाना और ताली बजाना बंद नहीं करेंगे। यहां तक कि जब समाचार चैनलों ने उनके खिलाफ समाचार प्रसारित करने के बाद उन्हें बहस में शामिल होने के लिए मजबूर किया, तो वे कहते रहे कि उनके पास समय नहीं है क्योंकि बड़े प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं और उन्हें उसपर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। लोग अब समझ रहे हैं कि यश उन्हें तब क्या बताना चाह रहे थे। मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले यश ने सिनेमा जगत से अपने करियर की शुरूआत थिएटर से की थी। उन्हें छोटे पर्दे और उसके बाद बड़े पर्दे तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा। उन्होंने पूरे समय रचना की। अपनी फिल्मों से लोगों का दिल जीता और कन्नड़ फिल्म उद्योग में सुपरस्टारडम हासिल किया। जल्द ही, उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट केजीएफ चैप्टर-1 पर काम करना शुरू कर दिया था और बाकी, जैसा की उनका कहना हैं कि सब इतिहास है। रश्मि. राज न्यूज की कार्यकारी संपादक और राज कन्नड़ म्यूजिक चैनल की प्रमुख एस. एस. का कहना है कि यश का सुपरस्टारडम तक का सफर वैसा ही है जैसा उन्होंने अपनी पहली फिल्म मोगिना मनसु में निभाया था। उन्होंने कहा, फिल्म में यश का किरदार एक गायक बनने की इच्छा रखता है। वह फिल्म में अपने करियर के लिए अपने प्यार का त्याग करता है। यश और राधिका को शूटिंग के दौरान एक-दूसरे से प्यार हो जाता है। यश राधिका के साथ बैठता है और उससे 10 साल करियर के लिए समर्पित करने के बारे में बात करता है। दोनों सबसे अधिक मांग वाले अभिनेता बनने के बाद शादी करते हैं। यश ने एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में अपना काम शुरू किया और तकनीकी की बारीकियों के बारे में जाना। वह पूरे समय संपादन के लिए बैठते हैं, संगीत, पृष्ठभूमि संगीत पर विशेष ध्यान देते हैं। जब तक फिल्म रिलीज के लिए तैयार नहीं हो जाती, तब तक यश इसमें पूरी तरह से डूबे रहते हैं। उन्होंने कहा, कोई भी उनकी उस बेताबी को देख सकता है कि उनमें एक अच्छा प्रोडक्ट निकालने की लालसा है। उस जुनून और समर्पण ने उन्हें वह बनाया है जो वह आज हैं। निर्देशक और निर्माता सुधाकर भंडारी को याद है कि कैसे यश ने उनकी सुपरहिट फिल्म रंगीतरंगा के लिए अभिभावक देवदूत की भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, यश ने भीड़ देखी और हमारे काम की सराहना की। उन्होंने एक प्रमोशनल बाइट भी दी जिससे फिल्म को रिलीज से पहले मदद मिली। एक बार फिल्म तैयार हो जाने के बाद, यश ने इसे सबसे पहले देखा। उन्होंने फिल्म की अवधि 10 मिनट कम करने का सुझाव दिया और हमें बताया कि यह सुपरहिट होगी। इसके बाद में करीब 12 मिनट की एडिटिंग की गई और फिल्म सुपरहिट रही और फिल्म ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोरी। उन्होंने कहा, यश एक अच्छे जज हैं। एडिटिंग के लिए उनकी समझ तेज है। वह अच्छे विषयों को चुनने की कला जानते हैं। सिनेमा के प्रति उनका जुनून बहुत गहरा है। उनका हमेशा से मानना था कि कन्नड़ फिल्म उद्योग देश के किसी भी अन्य उद्योग के बराबर है। केजीएफ चैप्टर-2 फेम सिनेमैटोग्राफर भुवन गौड़ा, जो केजीएफ सीरीज की पूरी यात्रा में यश के साथ थे। उनका कहना है कि मैंने यश का पोर्टफोलियो बनाया था और उनकी फिल्म गजकेसरी के लिए पोस्टर शूट किया था। रिजल्ट देखने के बाद यश ने मुझे अपनी मास्टरपीस और केजीएफ चैप्टर-1 और केजीएफ चैप्टर-2 में सिनेमैटोग्राफर का काम दिया। उन्होंने कहा, रॉकिंग स्टार यश हमेशा अपने काम के बारे में सपने देखते हैं। वह काम के प्रति जुनूनी है और वह सिनेमा पर अंतहीन बात करते हैं, जैसे शॉट्स, संवाद सुधार कैसे विकसित करें। उन्होंने कहा मुझे याद है कि कई मौकों पर केजीएफ चैप्टर 2 की शूटिंग के दौरान तकनीकी खामियां आती थीं। समस्या होने पर यश हमेशा मुझसे 10 और शॉट लेने के लिए कहते थे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्क्रिप्ट स्क्रीन पर है, वह सभी विभागों को आगे बढ़ा कर उनका मार्गदर्शन भी करते थे। उनका कहना है कि वह लंबे समय तक फिल्म को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की बात करते थे। उन्होंने कहा, कन्नड़ फिल्मों को साधारण रूप में वर्गीकृत किया गया था और कोई भी उन्हें देखना नहीं चाहता था। वे खराब गुणवत्ता और कम बजट के बारे में बात करते। केजीएफ चैप्टर-2 को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और बुबनेश्वर जैसी जगह पर सात दिनों तक फिल्म का प्रदर्शन किया गया। सभी दर्शक अमेरिका और रूस में जश्न मना रहे हैं और इससे ज्यादा हम और क्या चाहते हैं। कन्नड़ फिल्म उद्योग केजीएफ चैप्टर-2 की सफलता से उत्साहित है। ज्यादा से ज्यादा अखिल भारतीय परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। यश के अपनी काबिलियत साबित करने के बाद कोई कन्नड़ फिल्म उद्योग के अस्तित्व के बारे में भी बात नहीं कर रहा है। --आईएएनएस एसएस/एएनएम

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