केरल हाईकोर्ट ने प्रोडक्शन हाउस, फिल्म निकायों को आंतरिक शिकायत समिति बनाने के लिए कहा
कोच्चि, 17 मार्च (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण)अधिनियम, 2013 के तहत एक आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) बनाने की जिम्मेदारी फिल्म प्रोडक्शन हाउस की है। अदालत ने सिनेमा कलेक्टिव (डब्ल्यूसीसी) में महिलाओं द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर अपना आदेश मलयालम फिल्म कलाकारों के संगठन एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (एएमएमए) में एक शिकायत/निवारण तंत्र की स्थापना के लिए दायर किया है, जो कार्यस्थलों पर महिलाओं का उत्पीड़न यौन की रोकथाम के संबंध में है। जैसे ही आदेश आया फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में शामिल लोगों ने इस कदम का स्वागत किया। केरल फिल्म चैंबर - सभी फिल्म संगठनों का सर्वोच्च निकाय, इसके अध्यक्ष के. सुरेशकुमार ने निर्णय का स्वागत किया और उन्होंने कहा कि वे इसका पालन करेंगे। सुरेशकुमार ने कहा, यह केवल इसके गठन पर एक सवाल है और यह या तो निर्माता संघ या चैंबर द्वारा किया जा सकता है। बहुत जल्द हम इसे अंतिम रूप देंगे। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश एस.मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी. चाली की खंडपीठ ने दिया। इसने यह भी दर्ज किया कि एएमएमए (सभी मलयालम अभिनेताओं का निकाय) ने स्वेच्छा से एक आईसीसी का गठन किया है। इसने आगे बताया कि 10 से अधिक कर्मचारियों वाले फिल्म एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ केरल (एफईएफकेए), केरल फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स और मलयालम सिने टेक्नीशियन एसोसिएशन (एमएसीटीए) जैसे संबंधित संघों में एक आईसीसी होना चाहिए जैसा कि कानून द्वारा अनिवार्य है। 2017 में अभिनेत्री के अपहरण मामले के तुरंत बाद डब्ल्यूसीसी सामने आया, जिसमें अभिनेता दिलीप को गिरफ्तार किया गया था। केरल महिला आयोग ने भी याचिका में इस आधार पर एक याचिका दायर की थी कि यह राज्य में महिलाओं के लाभ और कल्याण के लिए विशेष रूप से कार्य करता है और फैसला आने के तुरंत बाद, इसकी अध्यक्ष पी. सती देवी ने इसका स्वागत किया। --आईएएनएस आरएचए/आरजेएस