नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। 'कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है...मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है' इन पक्तियों से देश के लाखों युवाओं के दिल में उतर जाने वाले देश दुनिया के लोकप्रिय कवि डॉ कुमार विश्वास आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। कुमार विश्वास आज के दौर के सबसे चर्चित मंचीय कवि हैं। उनकी कविताओं को सुनकर लोग झूमने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कुमार विश्वास साहित्य की दुनिया के ऐसे चमकते सितारों में से एक हैं , जिन्होंन सिर्फ देश ही नहीं दुनियाभर में देश का मान बढ़ाया है। विदेशों में भी उनके कवि सम्मेलन के प्रति श्रोताओं में गजब का उत्साह देखने को मिलता है। आइए जानते हैं इनके जन्मदिन पर इन से जुड़ी कुछ खास बातें ...
10 फरवरी, 1970 में हुआ था विश्वास का जन्म
कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के पिलखुआ में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई पिलखुआ के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुई। इसके बाद राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से इन्होंने 12वीं पास की। कुमार विश्वास के पिता की चाहत थी कि बेटा कवि बने, लेकिन इनका इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मन नहीं लगता था। वह कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और हिंदी साहित्य में 'स्वर्ण पदक' के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की।
इंजीनियरिंग छोड़ क्यों बने कवि
कुमार विश्वास के कवि बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। दरअसल, कुमार विश्वास के पिता को पसंद नहीं था कि बेटा कविता पाठ में जाए। एक इंटरव्यू में कुमार विश्वास ने जिक्र किया था, 'एक बार कवि सम्मेलन से रात को घर पहुंचे, तो उनके पिताजी उनसे गुस्सा हो गए। गुस्से में बोले, 'हां, इनके लिए बनाओ हलवा, ये सीमा से लड़कर जो आए हैं।' पिता की यही बात कुमार विश्वास को चुभ गई और उन्होंने उसी समय ठान लिया कि अब इसी दिशा में आगे जाना है।
महिलाओं को मानते हैं जीवन में खास
विश्वास का कहना है कि उनकी जिंदगी में चार महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वह चार महिलाएं हैं- उनकी मां, जिनसे उन्होंने गाने का सलीका सीखा, दूसरी बड़ी बहन से नाम मिला। तीसरी महिला- प्रेमिका जिसने उन्हें कवि बनाया और चौथी उनकी पत्नी, जिसने उन्हें एंटरप्रिन्योर बना दिया। बता दें कि धर्मवीर भारती ने कुमार विश्वास को अपनी पीढ़ी का सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला कवि कहा था। वहीं प्रसिद्ध हिंदी गीतकार गोपालदास नीरज ने उन्हें 'निशा-नियाम' की संज्ञा दी थी।