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धमतरी : लाॅकडाउन में चित्रकारी कर बनाए कई आकर्षक पेंट‍िंग

धमतरी, 12 जून ( हि. स.)। पढ़ाई, नौकरी और पारिवारिक जीवन में बंधने के लंबे समय से पेंटिंग का हुनर थम सा गया था। पेंटिंग के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे, लेकिन लाॅकडाउन में समय अधिक मिलने से वे बचपन के हुनर को मेहनत कर फिर जिंदा कर लिया। कई आकर्षक पेंटिंग बनाया, जिसे इंटरनेट मीडिया में विदेशों में रहने वाले दोस्तों के साथ कई जगह से प्रोत्साहन मिला, तो बचपन की यादें ताजा हो गई। बीईओ कार्यालय धमतरी में पदस्थ एबीईओ संजीव कश्यप के प्रशासनिक कार्य के अलावा पेंटिंग की कला से क्षेत्र में उनकी अलग पहचान बन गई है। उनके चित्रकला के इस हुनर का इन दिनों चर्चा बनी हुई है। कोरोना संक्रमण काल में कोरोना से बचाव व सुरक्षा के लिए लागू लाॅकडाउन में उन्होंने ने कई आकर्षक पेंटिंग लंबे समय बाद बनाया है। उनके इस पेंटिंग की काफी चर्चा है। कश्यप ने बताया कि चित्रकारी की कला में रुचि बचपन से है। स्कूल-काॅलेज के दिनों में भी पढ़ाई के साथ पेटिंग के कला को निखारते रहे हैं। कश्यप बीई केमिकल, एमबीए, एनआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद छत्तीसगढ़ पीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी पद के लिए चयनित हुए है। कश्यप वर्तमान में कार्यालय-विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी धमतरी में सेवा दे रहे है। समय का किया उपयोग वर्ष 2020 में करोना संक्रमण के दौरान लगे लाॅकडावन में उन्होंने अपना लंबा समय घर पर ही बिताया, इस अवधि में कश्यप ने अपने अंदर छिपे चित्रकारी के कला को खुलकर प्रदर्शित किया। उन्होंने चित्रकारी की कला से एक से बढ़कर एक कलात्मक पेटिंग बनाया, जिसे देख हर कोई प्रभावित हुए। कश्यप द्वारा केनवास में रंगों को बिखरने की कला ऐसी है कि वे अपने मन-मस्तिष्क के अलग-अलग प्रसंग के भाव को सुंदर ढंग से उकेर देते है। इस साल 2021 के लाॅकडाउन में भी उन्हें कुछ समय पेंटिंग के लिए मिला, जिसका उन्होंने पूरा लाभ उठाया। प्रशंसकों के प्रोत्साहन मिलने पर कश्यप अब अपने कलात्मक हुनर को नियमित बनाये हुए हैं। कार्यालीन कार्य से निवृत्त होने के बाद वे प्रतिदिन चित्रकारी के लिए समय निकालकर पेटिंग के हुनर को निखारने में लगे है। एबीईओ संजीव कश्यप ने बताया कि हर व्यक्ति हुनरमंद होता है, उसे केवल अवसर और लोगों का प्रोत्साहन चाहिए। विदेशो में रहने वाले सहपाठी के अलावा इंटरनेट मीडिया में भरपूर प्रोत्साहन, प्यार मिलने पर ही मैंने अब इस कला को नियमित रखा है। आफिस की ड्यूटी पूरी होने के बाद ही पेंटिंग का ब्रश हाथ में थाम मनोभावों को केनवास में उतारने का काम करता हूं। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन

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