kbc-lottery-fraud-two-arrested-for-duping-people
kbc-lottery-fraud-two-arrested-for-duping-people

केबीसी लॉटरी धोखाधड़ी: लोगों को ठगने के आरोप में दो गिरफ्तार

नई दिल्ली, 3 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तरी दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने केबीसी लॉटरी के नाम पर लोगों को कथित तौर पर ठगने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपियों की पहचान अनिकेत सिंह और समीर अंसारी के रूप में हुई है। ये रैकेट को पश्चिम बंगाल और झारखंड से संचालित कर रहे थे। एक सुनहम मंडल जो सरगना है, फरार है। इन्होंने कई लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है। पुलिस ने कहा कि सरोज देवी नाम की एक महिला ने यह कहते हुए पुलिस से संपर्क किया था कि उसे केबीसी कार्यालय से फोन आया है, जिसमें बताया गया है कि उसने 25 लाख रुपये की लॉटरी जीती है। उसे राशि प्राप्त करने के लिए शुल्क देने के लिए कहा गया था। उसने उनके उक्त खाते में 8.8 लाख रुपये जमा किए जिसके बाद उन्होंने उसका फोन उठाना बंद कर दिया। पुलिस को पता चला कि आरोपी पीड़ितों को व्हाट्सएप नंबरों के माध्यम से कॉल करके ऑडियो क्लिपिंग भेजते थे और उन्हें समझाते थे कि उन्होंने लोकप्रिय शो केबीसी की 25 लाख रुपये की लॉटरी जीती है। उन्होंने नकदी के बंडलों के वीडियो भी भेजे और जिसमें कुछ व्यक्तियों को यह कहते हुए भी दिखाया गया कि उन्होंने केबीसी लॉटरी जीती है और नकदी प्राप्त करने के लिए बैंक में हैं। आरोपी तब लोगों को बताते थे कि पुरस्कार पाने के लिए उन्हें दस्तावेज शुल्क, टीडीएस और अन्य करों का भुगतान करना होगा। पुलिस अधिकारी ने कहा, उनके बिहार में बैंक खाते थे, जहां उन्हें विभिन्न शुल्कों के नाम पर धन प्राप्त होता था। बाद में वे इसे विभिन्न ई-वॉलेट में स्थानांतरित कर देते थे और बाद में पश्चिम बंगाल के विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित कर देते थे। तकनीकी इनपुट के बाद अनिकेत को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया था। उसने पुलिस को बताया कि समीर अंसारी पीड़ितों से पैसे लेने के एवज में उसे दो फीसदी दे रहा था। समीर भी पकड़ा गया। उसने पुलिस को बताया कि एक शुभम मंडल उसका बॉस है। समीर द्वारा दर्जनों बैंक खातों की व्यवस्था की गई और इन खातों के माध्यम से करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन किया गया। मामले में आगे की जांच जारी है। --आईएएनएस एचके/एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in