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उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को हाई कोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जेएनयू स्कॉलर और सामाजिक कार्यकर्ता उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। खालिद ने दिल्ली हिंसा के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में निचली अदालत से अपनी जमानत याचिका खारिज होने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में नोटिस जारी करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने कहा कि उमर खालिद ने अमरावती में जो भाषण दिया था, वह आक्रामक और आपत्तिजनक था। पीठ ने पुलिस को तीन दिनों के भीतर जवाब देने का आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को निर्धारित की। सुनवाई के दौरान अदालत ने खालिद के वकील से उसके द्वारा दिए गए भाषणों के बारे में पूछा। पीठ ने पूछा, क्या गांधीजी ने कभी इस भाषा का इस्तेमाल किया था? क्या शहीद भगत सिंह ने कभी ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया था? हमें अभिव्यक्ति की आजादी की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप क्या कह रहे हैं? इससे पहले निचली अदालत में खालिद के वकील ने भारतीय दंड संहिता और यूएपीए के तहत आरोपों का विरोध करते हुए आरोपपत्र को काल्पिनिक कार्य (वर्क ऑफ फिक्शन) करार दिया था। उन्होंने तर्क दिया था कि खालिद द्वारा दिया गया भाषण गांधी, सद्भाव और संविधान के बारे में था, और यह कोई अपराध नहीं था। दलीलों के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। जमानत याचिका का विरोध करते हुए, विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने फरवरी 2020 में अमरावती में उमर खालिद द्वारा दिए गए भाषण की प्रासंगिकता पर तर्क दिया था। यह देखते हुए कि आरोपियों के खिलाफ आरोप प्रथम ²ष्टया सही हैं और इसके पीछे उचित आधार हैं, पिछले महीने, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया। बता दें कि उमर खालिद और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के हुई दिल्ली हिंसा के मास्टरमाइंड होने के मामले में आतंकवाद रोधी कानून -यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। --आईएएनएस एकेके/एसकेपी

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