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गुलशन कुमार हत्याकांड : हत्यारे के लिए आजीवन कारावास की सजा बरकरार, तौरानी बरी (लीड-1)

मुंबई, 1 जुलाई (आईएएनएस)। बंबई हाईकोर्ट ने गुरुवार को 24 साल पहले यहां एक मंदिर के पास म्यूजिक बैरन और टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार दुआ की सनसनीखेज दिनदहाड़े हत्या के दोषी अब्दुल रऊफ उर्फ दाऊद मर्चेंट को मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। मर्चेंट ब्रदर्स के वकील सतीश मानेशिंदे ने कहा कि अदालत ने टिप्स म्यूजिक कंपनी के सह-संस्थापक रमेश तौरानी के बरी होने की भी पुष्टि की, लेकिन मर्चेंट के भाई अब्दुल राशिद मर्चेंट को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति साधना जाधव और न्यायमूर्ति एन. आर. बोरकर ने मर्चेंट भाई-बहनों को हत्या, साजिश, सामान्य इरादे और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया है। अदालत ने कहा, अपीलकर्ता (अब्दुल रऊफ) को छूट का हकदार नहीं होना चाहिए। उसका आपराधिक इतिहास रहा है और उसके बाद भी इसी तरह की गतिविधियों में लगा रहा। न्याय और समाज के हित में अपीलकर्ता किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है। अदालत ने आगे कहा कि 1997 की घटना के तुरंत बाद, अब्दुल रऊफ 2001 में अपनी गिरफ्तारी तक फरार था और बाद में 2009 में पैरोल पर रिहा कर दिया गया और 2016 में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। 12 अगस्त, 1997 को, दिल्ली के संगीत क्षेत्र के दिग्गज गुलशन कुमार की उपनगरीय मुंबई के जुहू में एक मंदिर के बाहर 16 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी, जिससे बॉलीवुड में भारी उथल-पुथल मच गई थी। अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि हत्या कुमार और तौरानी के बीच व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम थी और कुमार और संगीत निर्देशक नदीम सैफी के बीच एक दरार थी। सैफी ने कथित तौर पर कुमार की हत्या के लिए दाऊद इब्राहिम कास्कर गिरोह के गैंगस्टर अबू सलेम को काम पर रखा था, लेकिन जून 1997 में लंदन भाग गया और तब से वापस नहीं आया, जबकि उसके साथी श्रवण राठौड़ की अप्रैल 2021 में मृत्यु हो गई। आरोपों के अनुसार, मतभेदों के तहत, सैफी ने कथित तौर पर कुमार को खत्म करने के लिए दाऊद इब्राहिम गिरोह के गैंगस्टर अबू सलेम को काम पर रखा था, लेकिन जून 1997 में लंदन भाग गया और तब से वापस नहीं आया। उनके साथी श्रवण राठौड़ का अप्रैल 2021 में निधन हो गया। पुलिस द्वारा चार्जशीट में कहा गया है कि गुलशन कुमार की हत्या की साजिश दुबई में दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के इशारों पर की गई थी। साल 2001, जनवरी महीने में गुलशन कुमार के हत्यारों में से एक अब्दुल रऊफ उर्फ दाउद मर्चेंट को कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया गया और जून 2001 में गुलशन कुमार की हत्या के मामले में सुनवाई शुरू हुई। जिसमें 26 में से 18 को कुमार की हत्या से बरी कर दिया गया और अब्दुल रऊफ को दोषी पाया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह भी आरोप है कि 40 वर्षीय कुमार की हत्या इसलिए हुई कि उन्होंने माफिया द्वारा जबरन वसूली के खिलाफ मौत की धमकियों को नजरअंदाज किया था। सनसनीखेज हत्या के तुरंत बाद, मुंबई पुलिस ने 26 आरोपियों को नामजद करते हुए चार्जशीट दायर की, जिनमें से 15 को गिरफ्तार कर लिया गया और बाकी फरार है, जबकि एक मोहम्मद अली शेख सरकारी गवाह बन गया था। 2009 में पैरोल पर रहते हुए, अब्दुल रऊफ बांग्लादेश चला गया था और भारत निर्वासन के बाद ही उसे फिर से गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल यहां आर्थर रोड सेंट्रल जेल में बंद है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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