सीए से कार्ति का आमना-सामना कराना चाहती है सीबीआई, 60 हजार से अधिक ईमेल का सबूत के तौर पर किया जाएगा इस्तेमाल

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नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को कार्ति चिदंबरम के चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) एस. भास्कररमन को भ्रष्टाचार के एक मामले में अतिरिक्त तीन दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। सीए को नियमों की धज्जियां उड़ाकर चीनी लोगों को वीजा दिलाने में कथित तौर पर मदद करने से जुड़े एक भ्रष्टाचार के मामले में पुलिस हिरासत में भेजा गया है। सीबीआई ने कहा कि वे उसका पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और अन्य आरोपियों से आमना-सामना कराना चाहते हैं। सीबीआई ने 65,000 ईमेल का पता लगाया, जिनका इस्तेमाल सबूत के तौर पर किया जाएगा। इससे पहले अदालत ने एस. भास्कररमन को चार दिनों की हिरासत में भेजा था। जांच एजेंसी ने कहा था कि उसे उसके पास से कुछ ईमेल और जोर बाग स्थित संपत्ति संबंधी जानकारी बरामद करने की जरूरत है। सीबीआई ने अदालत से कहा था कि छापेमारी के दौरान बरामद सेल्स डीड महत्वपूर्ण है। सीबीआई के रिमांड पेपर में कहा गया है, यह सेल्स डीड जोर बाग में खरीदी गई संपत्ति का है और पावर ऑफ अटॉर्नी भास्कररमन के नाम पर है, जबकि यह संपत्ति कार्ति और उनकी मां ने खरीदी थी। सीबीआई ने अदालत को बताया कि उसके पास से सामग्री की एक लंबी सूची बरामद की जानी है और उनका तलाशी अभियान अभी भी जारी है। सीबीआई ने भास्कररमन पर सहयोग न करने और कार्ति के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। भास्कररमन के वकील ने कहा था कि एजेंसी को आईएनएक्स मीडिया मामले में सभी ई-मेल प्राप्त हुए हैं। भास्कररमन को सीबीआई ने पिछले बुधवार को चेन्नई से गिरफ्तार किया था और उनके और अन्य के खिलाफ नियमों की धज्जियां उड़ाकर चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में कथित तौर पर मदद करने के मामले में मामला दर्ज किया गया था। पिछले मंगलवार को जांच एजेंसी ने पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और कार्ति के पिता पी. चिदंबरम के घर समेत देश भर में 10 जगहों पर छापेमारी की थी। बाद में दिन में, पी. चिदंबरम ने सीबीआई के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि उनका नाम प्राथमिकी में नहीं है। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कार्ति, पी. चिदंबरम और भास्कररमन को निजी फर्मों सहित अन्य लोगों के साथ आरोपी बनाया गया है। यह दावा किया जा रहा है कि पी. चिदंबरम ने कथित तौर पर उनकी मदद की थी। सीबीआई के अनुसार, मानसा स्थित एक निजी फर्म तलवंडी साबो पावर लिमिटेड ने एक बिचौलिए की मदद ली और चीनी नागरिकों के लिए वीजा जारी करने के लिए कथित तौर पर 50 लाख रुपये का भुगतान किया, जो इसे समय सीमा से पहले एक परियोजना को पूरा करने में मदद करने की एवज में किया गया था। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, मानसा स्थित निजी फर्म 1,980 मेगावाट ताप विद्युत संयंत्र (थर्मल पावर प्लांट) स्थापित करने की प्रक्रिया में थी और संयंत्र की स्थापना एक चीनी कंपनी को आउटसोर्स की गई थी। परियोजना अपने समय से पीछे चल रही थी। देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, उक्त निजी कंपनी अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों, पेशेवरों को मानसा में अपनी साइट के लिए लाने की कोशिश कर रही थी और गृह मंत्रालय द्वारा लगाई गई सीमा से ऊपर परियोजना वीजा की आवश्यकता थी। अधिकारी ने कहा कि उक्त उद्देश्य के लिए, निजी कंपनी के प्रतिनिधि ने अपने करीबी सहयोगी के माध्यम से चेन्नई स्थित एक व्यक्ति से संपर्क किया और उसके बाद उन्होंने चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए अनुमेय परियोजना वीजा की अधिकतम) के उद्देश्य को विफल करने के लिए एक और मार्ग तैयार किया। इसके बाद निजी कंपनी के प्रतिनिधि ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र सौंपकर वीजा के पुन: उपयोग की मंजूरी मांगी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई और अनुमति जारी कर दी गई। अधिकारी के अनुसार, चेन्नई स्थित उक्त निजी व्यक्ति द्वारा अपने करीबी सहयोगी के माध्यम से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी, जिसका भुगतान उक्त मनसा स्थित निजी कंपनी द्वारा किया गया था। यह आरोप लगाया गया है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कथित तौर पर नियमों की धज्जियां उड़ाकर चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में मदद की थी। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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