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बिहार से नेपाल के रास्ते हो रही प्राचीन, महंगी मूर्तियों की तस्करी!

पटना, 3 मार्च (आईएएनएस)। बिहार से नेपाल के रास्ते विदेशों में मूर्ति तस्करी की जा रही है। इसका खुलासा गया में पकड़े गए पांच मूर्ति तस्करों ने पुलिस से पूछताछ के दौरान की है। इन तस्करों के पास से भूमि स्पर्श मुद्रा में बैठे हुए भगवान बुद्ध की चार मूर्तियां मिलीं। इसके अलावा पदमासन मुद्रा में बैठे हुए भगवान बुद्ध की एक मूर्ति तथा मथुरा शैली की भगवान बुद्ध का सिर का हिस्सा मिला है। साथ ही चार मंदिर के प्राचीन स्तूप भी मिले हैं। इस तरह से छह मूर्ति और चार प्राचीन स्तूप बरामद किए गए हैं। गया (नगर) के पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार बताते हैं कि गिरफ्तार मूर्ति तस्करों ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि बोधगया, राजगीर तथा आसपास के क्षेत्रों से ये प्राचीन मूर्तियां चोरी करते थे या छोटे चोरों से कम मूल्य पर चोरी की गई मुर्तियां खरीद लेते थे और ऊंची कीमतों पर इसे नेपाल के मूर्ति तस्करों से बेच देते हैं। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार तस्करों में दो से तीन तस्कर मूर्ति को बेचने का कारोबार पिछले 10 वर्षो से कर रहे हैं। इनमें कई लोग पहले भी जेल जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पकड़े गए गिरोह के सदस्य बिहार के अलग-अलग जिले के रहने वाले हैं, जो इन बरामद मूर्तियों को डील करने के लिए बोधगया में एकत्रित हुए थे। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार तस्करों ने स्वीकार किया है इनके संबंध बिहार के अलग-अलग जिले के साथ-साथ नेपाल और विदेशों के मूर्ति तस्कर गिरोह से जुड़ा है। कुमार ने बताया कि पकड़े गए मूर्ति तस्कर में नालंदा जिले के सिमा गांव निवासी मोहम्मद श्मशाद आलम, गया जिले के बोधगया थाना क्षेत्र के मस्तपुरा गांव निवासी घूंघर चौधरी, पटना जिले के उसरी क्षेत्र के अमित कुमार, कटिहार जिले के ड्राइवर टोला निवासी अरविंद दास एवं नवादा जिले के बुंदेलखंड थाना क्षेत्र के अफतलनगर गांव निवासी मोहम्मद सोनू शामिल हैं। ये सभी बोधगया के मस्तपुरा गांव में घूंघर चौधरी के घर पर मूर्ति खरीदने के लिए एकत्र हुए थे। उन्होंने बताया कि इन मूर्ति तस्करों के पास छह मूर्ति और चार प्राचीन स्तूप बरामद की गई है। उन्होंने बताया कि इनके पास से बरामद मोबाइल फोनों में भी कई मूर्तियों की तस्वीर भी पाई गई हैं। उन्होंने बताया कि इनसभी तस्करों को रिमांड पर लेकर पुलिस और पूछताछ करने की कोशिश करेगी, जिससे इनके पूरे लिंक को ख्ांगाला जा सके। उन्होंने कहा कि बरामद मूर्तियों और स्तूपों की कीमत करोडों रुपये आंकी जा रही है। उन्होंने कहा कि बरामद मूर्तियां 1400 से 1500 साल पूर्व बताई जा रही हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि बरामद मूर्तियां किस काल खंड की हैं, इसके लिए संग्रहालय और पुरातत्व विभाग से संपर्क साधा गया है। --आईएएनएस एमएनपी/एएनएम

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