श्रमिक विद्या योजना से प्रदेश में बाल श्रमिकों में आएगी कमी : मुख्यमंत्री
श्रमिक विद्या योजना से प्रदेश में बाल श्रमिकों में आएगी कमी : मुख्यमंत्री

श्रमिक विद्या योजना से प्रदेश में बाल श्रमिकों में आएगी कमी : मुख्यमंत्री

-बच्चों को स्कूल भेजने पर मिलेगा 1000 व 1200 रुपये प्रति माह -कक्षा 8, 9 और 10 पास करने वाले छात्रों को छह-छह रुपये मिलेगी प्रोत्साहन राशि कानपुर, 12 जून ( हि.स.)। प्रदेश में बाल श्रमिकों में कमी लाने व उन्हें बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए श्रम विभाग के जरिये 'बाल श्रमिक विद्या योजना' की शुरुआत की गयी है। इस योजना के तहत कामकाजी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए 1,000 व 1,200 रुपये प्रति माह तक का सालाना अनुदान मिलेगा। इसके अलावा, कक्षा 8, 9 और 10 पास करने वाले छात्रों को छह-छह रुपये रुपये की प्रोत्साहन राशि भी अलग से दी जाएगी। पहले चरण के तहत अभी प्रदेश के 57 जिलों में इस योजना को लागू किया जाएगा और करीब दो हजार बच्चे इससे लाभान्वित होंगे। श्रम विभाग की इस महात्वाकांक्षी योजना से निश्चित रुप से बाल श्रमिकों में कमी आएगी। यह बातें शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बाल श्रमिक विद्या योजना का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले चरण के तहत उन 57 जनपदों को शामिल किया गया है जहां पर श्रमिकों की संख्या अधिक है। इस योजना के अंतर्गत ऐसे परिवार जो भूमिहीन, परिवार जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो या पिता की मृत्यु हो गई हो और जिस परिवार की मुखिया महिला हो उस श्रमिक परिवार को इस योजना से लाभान्वित किया जायेगा। इस योजना में पहले चरण में 2000 बच्चों का चयन किया गया है। इन बच्चों को स्कूल भेजने पर बालकों को प्रति माह 1000 रुपये और बालिकाओं को प्रति माह 1200 रुपये दिए जाएंगे। इनका चयन सर्वाधिक बाल श्रम से जुड़े 57 जिलों से किया गया है, यानी, 2011 की जनगणना के अनुसार इन जिलों में सबसे अधिक बाल श्रमिक हैं। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मण्डलायुक्त सुधीर एम बोबड़े, जिलाधिकारी डा. ब्रह्मदेव राम तिवारी तथा यूनिसेफ से आर्शी, श्रम विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहें। बाल श्रमिकों पर आएगी कमी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तमाम योजनाओं के बाद भी अभी भी बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो बचपन में ही अपने पारिवारिक खर्चे के लिए मजदूरी करने को मजबूर होते हैं। ऐसे में इस तरह के बच्चों पर शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वहीं दूसरी ओर इससे समाज और राष्ट्र की भी अपूरणीय क्षति भी होती है। इन सब चीजों को देखकर महसूस किया गया कि बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो मजबूरी में बाल श्रम करते हैं और उन्ही के उत्थान के लिए श्रम विभाग के जरिये बाल श्रमिक विद्या योजना लायी गयी है। इस योजना से निश्चित ही प्रदेश में बाल श्रमिकों में कमी आएगी। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित/दीपक-hindusthansamachar.in

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