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टाटा बनाम मिस्त्री: सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली साइरस मिस्त्री को राहत ( लीड)

नयी दिल्ली, 19 मई (आईएएनएस)। टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटाये जाने के खिलाफ दूसरी बार उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना भी साइरस मिस्त्री के लिये लाभदायक साबित नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री और टाटा समूह के बीच जारी विवाद में अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया। इससे पहले भी टाटा समूह के फैसले के खिलाफ साइरस मिस्त्री ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन शीर्ष अदालत ने मार्च 2021 में टाटा समूह के निर्णय को सही ठहराते हुये उसके पक्ष में फैसला सुनाया था। दिसंबर 2019 में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने 24 अक्टूबर 2016 को हुई टाटा बोर्ड की बैठक की कार्रवाई को अवैध ठहराया था। इसी बोर्ड मीटिंग में साइरस मिस्त्री को पद से हटाने का फैसला लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के इस आादेश को रद्द करते हुये कहा था कि साइरस मिस्त्री को पद से हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह कानून सम्मत है। सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले का पुनर्विचार करने की गुहार लगाते हुए साइरस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिग इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में इन पर सुनवाई करने पर अपनी मुहर लगाई थी। चीफ जस्टिस एन वी रमना की अगुवाई में जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियम की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने गुरुवार को इन पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट हालांकि एक अन्य आवेदन पर विचार करते हुये साइरस मिस्त्री के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने पर सहमत हुआ है। खंडपीठ ने लेकिन आवेदन में गत साल अदालत के फैसले पर की गई एक टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज की और साइरस मिस्त्री के वकील से कहा कि वह इस बयान को वापस लें। इस पर साइरस मिस्त्री के वकील ने कहा कि उनका इरादा जजों को आहत करना नहीं था और वह उस टिप्पणी को वापस लेने पर राजी हो गये। सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने पर रतन टाटा ने कहा कि वह इस फैसले के प्रति कृतज्ञ हैं। इससे न्यायपालिका के प्रति भरोसा बढ़ता है। --आईएएनएस एकेएस/एएनएम

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