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श्रीलंका ने की ऋण पुनर्गठन की मांग

कोलंबो, 20 मई (आईएएनएस)। गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने विदेशी कर्जदाताओं से लिये गये 50 अरब डॉलर के ऋण के पुनर्गठन का आग्रह किया है ताकि वह भुगतान को अधिक प्रभावी रूप से प्रबंधित कर पाये। इतिहास में पहली बार श्रीलंका ऋण की किस्त का भुगतान समय पर नहीं कर पाया है। श्रीलंका को किस्त के रूप में 7.8 करोड़ डॉलर का भुगतान अप्रैल में ही करना था। श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे 30 दिन की और मोहलत दी गई थी लेकिन इसके बावजूद किस्त अदायगी नहीं हुई। मोहलत की अवधि भी बुधवार को समाप्त हो गई। गुरुवार को साख निर्धारण करने वाली दो अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी कहा कि श्रीलंका ऋण की किस्त का भुगतान नहीं कर पाया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर पी नंदलाल वीरासिंघे का कहना है कि उनका देश प्री-एम्पटिव डिफॉल्टर है। वीरासिंघे ने कहा है, हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। हमने कहा है कि जब तक ऋणदाता हमारे ऋण का पुनर्गठन नहीं करते हैं, हम भुगतान नहीं कर पायेंगे। इसी वजह से आप इसे प्री-एम्पटिव डिफॉल्ट कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसकी तकनीकी परिभाषा हो सकती है। ऋणदाता इसे डिफॉल्ट मान सकते हैं। हमारी ओर से बात स्पष्ट है कि जब तक ऋण पुनर्गठन नहीं होगा, हम भुगतान नहीं कर सकते हैं। गौरतलब है कि जब कोई देश ऋण का भुगतान समय पर नहीं करता है तो इससे उसकी साख गिरती है। साख गिरने से देश के लिए विदेशी बाजार से और ऋण लेना बहुत अधिक मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में देश की मुद्रा दबाव में आती है और अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचती है। श्रीलंका इन दिनों गंभीर आथिर्क संकट से गुजर रहा है। इस कारण से यहां के राजनीतिक गलियारे में भी कोहराम मचा हुआ है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके परिवार को हिंसक प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है। --आईएएनएस एकेएस/एमएसए

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