Indian Economy: भारत में तेजी से घट रही गरीबी, जानिए लोगों की मासिक आय में कितनी हुई बढ़ोतरी

NITI Aayog Report: भारतीय लोगों के लिए बेहद अच्छी खबर है। देश में गरीबी तेजी से घट रही। यह दावा नीति आयोग की रिपोर्ट में किया गया है।
भारत में गरीबी पर जारी नीति आयोग की रिपोर्ट।
भारत में गरीबी पर जारी नीति आयोग की रिपोर्ट।रफ्तार।

नई दिल्ली, रफ्तार। भारतीय लोगों के लिए बेहद अच्छी खबर है। देश में गरीबी तेजी से घट रही। यह दावा नीति आयोग की रिपोर्ट में किया गया है। नीति आयोग के सीईओ बीवी आर सुब्रमण्यम का कहना है कि नवीनतम घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि गरीबी का स्तर 5 प्रतिशत से नीचे गिर गया है। ग्रामीण व शहर में लोग अधिक समृद्ध बन रहे हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दोगुना से अधिक हुआ है, जो देश में समृद्धि के बढ़ते स्तर को दर्शाता है।

प्रति व्यक्ति मासिक व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 1373 रुपए

सुब्रमण्यम का कहना है कि उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण सरकार द्वारा उठाए गए गरीबी उन्मूलन उपायों की सफलता को भी दिखाता है। कहा, सर्वेक्षण में आबादी को अलग-अलग 20 श्रेणियों में बांटा गया। आंकड़ों के मुताबिक सभी श्रेणियों के लिए औसत प्रति व्यक्ति मासिक व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 3773 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 6459 रुपए है। निचले 0-5 प्रतिशत वर्ग का औसत प्रति व्यक्ति मासिक व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 1373 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 2001 रुपए है।

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत में वृद्धि

नीति आयोग के मुताबिक गरीबी रेखा को लें और इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के साथ आज की दर तक बढ़ाएं तो सबसे निचले 0-5 प्रतिशत वर्ग की औसत खपत करीब समान है। मतलब देश में गरीबी केवल 0-5 प्रतिशत समूह में है। कहा, यह मेरा आकलन है, लेकिन अर्थशास्त्री इसका विश्‍लेषण करेंगे और बिल्कुल सही आंकड़े सामने लाएंगे। एनएसएसओ का अनुमान 1.55 लाख ग्रामीण परिवारों और 1.07 लाख शहरी परिवारों से एकत्र आंकड़ों पर आधारित है। सुब्रमण्यम ने कहा, आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत 2.5 गुना बढ़ी है।

शहरों से अधिक तेजी से गांवों में बढ़ रही खपत

सुब्रमण्यम ने कहा कि देश में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रगति हो रही है। सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में खपत शहरी क्षेत्रों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। जिससे दोनों क्षेत्रों में असमानताएं कम हो रही हैं। सर्वेक्षण में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभ को भी शामिल किया गया है। इसने उन गरीब परिवारों की खपत में योगदान दिया है, जिन्हें बच्चों के लिए मुफ्त खाद्यान्न, साइकिल व स्कूल यूनिफॉर्म जैसे सामान मिले हैं।

भोजन के अतिरिक्त अन्य चीजों पर खर्च बढ़ा

सर्वेक्षण के मुताबिक 2011-12 में अंतर 84 प्रतिशत था। 2022-23 में घटकर 71 प्रतिशत हो गया है। 2004-05 में यह अंतर 91 प्रतिशत के अपने चरम पर था। एनएसएसओ सर्वेक्षण देश में ग्रामीण और शहरी दोनों परिवारों के कुल खर्च में अनाज और भोजन की खपत की हिस्सेदारी में गिरावट का भी संकेत है। इसका मतलब है कि लोग अतिरिक्त आय के साथ समृद्ध बन रहे हैं। इस बढ़ी समृद्धि के साथ वह भोजन के अलावा अन्य चीजों पर अधिक खर्च कर रहे हैं। भोजन में भी, वह अधिक दूध पी रहे हैं। फल और अधिक सब्जियां खा रहे हैं।

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