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दिल्ली हाईकोर्ट में पीआईएल: भारत में विदेशी धन जमा करने के लिए आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस के उपयोग के खिलाफ निर्देश की मांग

नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांगे गए कि रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (आईएमपीएस) का इस्तेमाल भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए नहीं किया जाए। याचिका में यह निर्देश यह दावा करते हुए कि मांगे गए हैं कि यह आतंकवादियों और अन्य राष्ट्रविरोधी संगठनों को वित्त प्रदान करने का काम करेगा। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अनुच्छेद 226 के तहत जनहित याचिका दायर कर काले धन और बेनामी लेनदेन को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग कोड लागू करने के लिए केंद्र को उचित रिट आदेश या निर्देश देने की मांग की। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वीजा के लिए आव्रजन (इमिग्रेशन) नियम समान हैं, चाहे कोई विदेशी बिजनेस क्लास में आए या इकोनॉमी क्लास में आए और चाहे वह एयर इंडिया या ब्रिटिश एयरवेज का उपयोग करता हो और यूएस या युगांडा से आता हो। इसी तरह, विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए, चाहे वह चालू खाते (करंट अकाउंट) में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन या चैरिटी के चालू खाते में दान या यूट्यूबर के खातों में सेवा शुल्क का भुगतान हो। मांग की गई है कि प्रारूप एक समान होना चाहिए चाहे वह वेस्टर्न यूनियन या नेशनल बैंक या भारत स्थित विदेशी बैंक द्वारा परिवर्तित किया गया हो। याचिका में कहा गया है कि फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट यानी विदेशी आवक प्रेषण प्रमाणपत्र (एफआईआरसी) अनिवार्य रूप से जारी होना चाहिए और सभी अंतरराष्ट्रीय व भारतीय बैंकों को उसे भुगतान की लिंक एसएमएस से अवश्य भेजना चाहिए। यदि किसी खाते में विदेशी मुद्रा को रुपये में परिवर्तित कर राशि जमा की जाए तो उसकी सूचना इस तरह से देना चाहिए। भारत में अंदरुनी रूप से आरटीजीएस, एनईएफटी और आईएमपीएस के जरिए एक खाते से दूसरे खाते में पैसा भेजने की अनुमति सिर्फ किसी व्यक्ति या कंपनी को ही दी जानी चाहिए, किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक को इसकी इजाजत नहीं दी जाना चाहिए। इस घरेलू बैंकिंग टूल का इस्तेमाल सिर्फ घरेलू बैंक लेनदेन के लिए ही किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि समस्या इस प्रकार है: मान लीजिए कि हजारों छात्र एक ही वर्दी में स्कूल में प्रवेश कर रहे हैं। दो आत्मघाती हमलावर भी उसी वर्दी में, उसी समय में स्कूल में प्रवेश करते हैं और सैकड़ों निर्दोष छात्रों को मारने के लिए दौड़ते हैं। इसी तरह से अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों, देशद्रोहियों, धर्मांतरण माफियाओं और सिमी, पीएफआई आदि जैसे कट्टरपंथी संगठनों के खातों में विदेशी धन हस्तांतरित किया जा रहा है। इसमें आगे कहा गया है कि केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि जमाकर्ता और दराज का पूरा नाम, पैन, एमडीएचएआर, मोबाइल और आधार विवरण दिए बिना विदेशी मुद्रा लेनदेन नहीं किया जाए। यह काले धन के मार्ग को ट्रैक करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने जनहित याचिका के उद्देश्य पर जोर देते हुए कहा कि इसी तरह, केंद्र को काले धन के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, निमार्ताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए बिक्री के बिंदु पर इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (ईएफटीपीओएस) या मोबाइल फोन भुगतान प्रणाली (एमपीपीएस) को अनिवार्य बनाना चाहिए। लेकिन इसने आज तक उचित कदम नहीं उठाए हैं। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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