नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। जरूरत एक ऐसी चीज़ है जो कभी खत्म नहीं होती और सैलरी आते ही खत्म होने को दौड़ती है। इन दोनों के बीच तालमेल बनाकर चल पाना बेहद ज़रूरी है। पर कितना भी तालमेल बना लो, कई बार ज़रूरत ऐसी आन पड़ती है कि लोन लेना ज़रूरी लगने लगता है।
अगर आपको भी चीज़ के लिए लोन लेने की ज़रूरत लग रही है तो ये जान लें कि लोन सूद यानी इंटरेस्ट के साथ चुकाना पड़ता है। तो लोन लेने से पहले ये फॉर्मूला याद कर लें।
क्या है फॉर्मूला?
लोन उतना ही लें जिसकी EMI आपकी सैलरी के 35-40 प्रतिशत हिस्से से कम हो। मान लीजिए कि आपकी इनकम 100 रुपये है। तो आपकी महीने की EMI में 35 से 40 रुपये से ज्यादा न जाएं। ऐसा इसलिए कि EMI के अलावा महीने के दूसरे खर्च भी आपके ऊपर होंगे। जैसे आपके घर का किराया, राशन, बिजली, बच्चों की फीस, मेडिकल ज़रूरतें और आपने कोई इंश्योरेंस और सेविंग प्लान ले रखा हो तो उसका खर्च। ऐसे में अगर आपकी EMI ज्यादा होगी तो बाकी की ज़रूरतें पूरी करने में आपके ऊपर स्ट्रेस आएगा।
इसके साथ ही इन सारे खर्चों के बाद आपके पास इतने पैसे बचने चाहिए कि आप इमरजेंसी फंड में पैसा सेव कर सकें।
लोन की EMI तक करते समय आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आने वाले समय में किसी वजह से आपकी जॉब में उतार-चढ़ाव आ सकता है। ऐसे में आपकी EMI इतनी ही हो जितनी आप बुरी स्थिति में भी मैनेज कर सकें। इसके साथ ही RBI समय-समय पर रेपो रेट में बदलाव भी करता है, इसके बढ़ने पर EMI का अमाउंट भी बढ़ जाता है। तो ईमआई की राशि तय करते समय इस बात के लिए भी तैयार रहें।
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