kvic-set-up-maximum-number-of-units-in-jampk-also-topped-in-employment-generation
kvic-set-up-maximum-number-of-units-in-jampk-also-topped-in-employment-generation

केवीआईसी ने जम्मू कश्मीर में सर्वाधिक इकाइयां स्थापित कीं, रोजगार सृजन में भी रहा अव्वल

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (आईएएनएस)। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत स्वरोजगार सृजन में जम्मू कश्मीर को सभी भारतीय राज्यों से आगे रखा है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि केवीआईसी ने वर्ष 2021-22 में जम्मू कश्मीर में पीएमईजीपी के तहत सबसे अधिक विनिर्माण और सेवा इकाइयों की स्थापना की, जो देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में सबसे अधिक है। जम्मू कश्मीर में रिकॉर्ड 21,640 विनिर्माण और सेवा इकाइयों की स्थापना की गई, जो उत्तर प्रदेश (12,594 इकाइयों), मध्य प्रदेश (8082 इकाइयों), तमिलनाडु (5972 इकाइयों), कर्नाटक (5877) और गुजरात (4140 इकाइयों) जैसे बड़े राज्यों से काफी अधिक है। पीएमईजीपी के तहत 2021-22 में अकेले जम्मू-कश्मीर में 1.73 लाख नये रोजगारों का सृजन किया गया, जो भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा हैं। वर्ष 2021-22 के लिये केवीआईसी ने जम्मू-कश्मीर में 3,360 पीएमईजीपी इकाइयों का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन स्थानीय विनिर्माण को लेकर केंद्र के प्रोत्साहन से उत्साहित होकर इसने 21,640 इकाइयों की स्थापना की। इस प्रकार लक्ष्य से 544 प्रतिशत से ज्यादा हासिल किया गया। जम्मू-कश्मीर में कुल 2,101 करोड़ रुपये की पूंजी से इन इकाइयों की स्थापना की गई। इसमें से केवीआईसी ने 467 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड मार्जिन मनी सब्सिडी के रूप में दी जबकि बैंक ने 1,634 करोड़ रुपये का ऋण दिया। केवीआईसी द्वारा जम्मू-कश्मीर में वितरित सब्सिडी भी देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक है। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने रोजगार सृजन में हुई भारी बढ़ोतरी व जम्मू कश्मीर के सर्वांगीण विकास व आत्मनिर्भरता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रोत्साहन को दिया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इतने बड़े पैमाने पर स्वरोजगार राज्य को आत्मनिर्भर बनाने और विकास के मामले में इसे अन्य राज्यों के बराबर लाने की दिशा में केवीआईसी का बड़ा योगदान है। जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड पीएमईजीपी इकाइयों की संख्या इस बात का भी प्रमाण है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोग स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और राज्य के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिये सरकारी योजनाओं में रुचि ले रहे हैं। पीएमईजीपी को वर्ष 2008 में शुरू किया गया था और अगले छह वर्ष यानी 2013-14 तक यह योजना जम्मू-कश्मीर में धीमी गति से आगे बढ़ी। हालांकि 2014-15 के बाद राज्य में पीएमईजीपी के तहत अभूतपूर्व वृद्धि हुई। तुलनात्मक आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि केवीआईसी ने छह वर्षों (2008-09 से 2013-14) में जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 10,401 पीएमईजीपी इकाइयां स्थापित की थीं, जबकि केवीआईसी द्वारा पिछले आठ वर्षों में 2014-15 से 2021-22 तक बड़े पैमाने पर 52,116 इकाइयां स्थापित की गईं। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में केवीआईसी द्वारा छह वर्षों (2008-09 से 2013-14) में वितरित की गई सब्सिडी केवल 145 करोड़ रुपये थी जबकि केवीआईसी ने पिछले आठ वर्षों (2014-15 से 2021-22) में सब्सिडी के रूप में 1,080 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि का वितरण किया। इसके अलावा केवीआईसी ने पहले छह वर्षों (2008-09 से 2013-14) में पीएमईजीपी के तहत कुल 85,719 रोजगार सृजित किये जबकि पिछले आठ वर्षों में पीएमईजीपी के तहत जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर 4.10 लाख रोजगार का सृजन किया गया। उल्लेखनीय है कि 2021-22 में जम्मू-कश्मीर में पीएमईजीपी की अधिकांश इकाइयां बारामूला, बडगाम, पुलवामा, अनंतनाग, गांदेरबल, कुपवाड़ा, बांदीपुरा और डोडा जैसे जिलों में स्थापित की गई हैं, जो बड़े पैमाने पर आतंकवाद से ग्रस्त हैं। जम्मू-कश्मीर में 21,640 पीएमईजीपी इकाइयों में से 16,807 (78 प्रतिशत) सेवा क्षेत्र जैसे ब्यूटी पार्लर, बुटीक, कढ़ाई, मोबाइल/कंप्यूटर की मरम्मत की दुकानें, फूड आउटलेट आदि जैसी इकाइयों से संबंधित हैं। इसके बाद 1,933 इकाइयां (9 प्रतिशत) ग्रामीण इंजीनियरिंग और जैव-प्रौद्योगिकी जैसे स्टील फैब्रिकेशन व स्टील फर्नीचर, कृत्रिम आभूषण निर्माण, वर्मी-कम्पोस्ट और जैव-उर्वरक इकाइयों से संबंधित हैं। इसके साथ ही 1,770 इकाइयां (8 प्रतिशत) कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से संबंधित हैं। --आईएएनएस एकेएस/एसकेपी

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in