नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। केंद्र सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न योजना की अवधि बढ़ाई है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग कम है। वहीं,जनवरी 2022 के बाद 22 महीनों में से 18 महीनों में खुदरा महंगाई दर शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में ज्यादा रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएलओ) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित ग्रामीण खुदरा महंगाई दर शहरी महंगाई की तुलना में लगातार चौथे महीने अक्टूबर में अधिक रही है। 2 साल के दौरान इस मार्च से जून के बीच ग्रामीणों को थोड़ी राहत थी। जब शहरी महंगाई की तुलना में गांवों में महंगाई कम थी।
ग्रामीण महंगाई दर 5.12% और शहरी 4.62%
अक्टूबर 2023 में ग्रामीण महंगाई 5.12% और शहरी महंगाई दर 4.62% थी। आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण ज्यादा महंगाई दर की मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं खासकर मोटे अनाज की कीमत अधिक होना है। हालांकि इस साल की शुरुआत में जिस उच्च स्तर पर महंगाई थी, उसकी तुलना में थोड़ी राहत है। मगर, ग्रामीण इलाकों में मोटे अनाज की कीमतें 11.5% अधिक रही हैं। शहरी इलाकों में 9.8% अधिक थीं।
कीमतें और बढ़ेंगी
वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जसराय का कहना है कि पिछले साल लू चलने और धान-गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि खाद्य की कीमत में तेज बढ़ोतरी से बल मिला है। इसके बाद इस साल सब्जियों की कीमत बढ़ गई। उन्होंने कहा-पहले अग्रिम अनुमान से ज्यादातर खरीफ फसलों के उत्पादन की धूमिल तस्वीर सामने आ रही है। रबी की बोआई भी सुस्त है। जलाशयों का स्तर भी निचले है। उम्मीद है कि कीमतें और बढ़ेंगी और ग्रामीण महंगाई बढ़ेगी।
शहरी सूचकांक में आवास का अधिभार 22%
अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि शहरी सूचकांक में आवास का अधिभार 22% है। यह ग्रामीण इलाकों में शून्य है। ऐसे में खाद्य उत्पादों का अधिभार ग्रामीण इलाकों में 54% हो जाता है। शहरी इलाकों के लिए यह 36% है। खाद्य महंगाई के अलावा प्रमुख क्षेत्र के घटकों जैसे घरेलू वस्तुओं, ढुलाई आदि में भी ग्रामीण इलाकों में कीमतों मे शहरों की तुलना में अप्रैल के बाद से अधिक तेजी देखी गई है। अक्टूबर में सेवा की महंगाई दर ग्रामीण व शहरी इलाकों में क्रमशः 4.6% और 4.26% रही है।
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