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ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत 35 रैंक चढ़ा, पेटेंट में पिछड़ा : इको सर्वे

नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 35 पायदान ऊपर चढ़ गया। वर्ष 2021 में 46 था, जबकि वर्ष 2015-16 में 81 था। पेटेंट की संख्या में हालांकि पीछे है, जो अभी भी प्रमुख विश्व अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में एक अंश है। यह बात सर्वेक्षण 2021-22 में कही गई। भारत के अधिकांश स्टार्टअप आईटी/ज्ञान-आधारित क्षेत्र में हैं और बौद्धिक संपदा, विशेष रूप से पेटेंट, इस ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की कुंजी है। सोमवार को संसद में पेश किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 35 अंक चढ़ गई है, जो उल्लेखनीय प्रगति है, लेकिन चीन, अमेरिका, जापान और कोरिया में दिए गए पेटेंट की तुलना में भारत में दिए गए पेटेंट की संख्या अभी भी एक अंश है। भारत में दायर पेटेंट की संख्या 2010-11 में 39,400 से बढ़कर 2016-17 में 45,444 हो गई है, जो 2020-21 में 58,502 हो गई और इसी अवधि के दौरान भारत में दिए गए पेटेंट 7,509 से बढ़कर 9,847 से 28,391 हो गए हैं। हालांकि, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के अनुसार, चीन, अमेरिका, जापान और कोरिया में दिए गए पेटेंट की संख्या 2020 के लिए क्रमश: 5.30 लाख, 3.52 लाख, 1.79 लाख और 1.35 लाख थी। यह बात आर्थिक सर्वेक्षण में कही गई है। भारत में अमेरिका, चीन आदि की तुलना में अपेक्षाकृत कम पेटेंट के प्रमुख कारणों में से एक अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) जैसी गतिविधियों पर कम खर्च है, जो 2020 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत था। सर्वेक्षण में कहा गया है, हालांकि, यह एकमात्र कारण नहीं है। प्रक्रियात्मक देरी और जटिलता भारत में कम पेटेंट का एक और कारण है। भारत में पेटेंट प्राप्त करने में अंतिम निर्णय के लिए औसत पेंडेंसी 2020 तक 42 महीने रही। यह अमेरिका, चीन, कोरिया और जापान के लिए क्रमश: 20.8, 20, 15.8 और 15 महीने से काफी अधिक है। हालांकि, पेटेंट प्राप्त करने में अंतिम निर्णय के लिए औसत पेंडेंसी 2017 में 64 महीने से घटकर 2019 में 52 महीने और 2020 में 42 महीने हो गई है। दूसरा, भारत के पेटेंट आवेदनों के निपटान में देरी पेटेंट परीक्षकों की कम संख्या के कारण हुई है, यह बात सर्वेक्षण में कही गई है। साल 2020 में भारत में पेटेंट परीक्षकों की संख्या 615 थी, जबकि चीन में 13,704, अमेरिका में 8,132 और जापान में 1,666 थी। सर्वेक्षण में कहा गया है, इससे पहली परीक्षा रिपोर्ट (एफईआर) प्राप्त करने में पूरी प्रक्रिया में देरी हो रही है। भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार व्यवस्था (2021) की वाणिज्यिक समीक्षा को संसदीय स्थायी समिति द्वारा भी नोट किया गया था। पेटेंट परीक्षकों की संख्या बढ़ाने की तत्काल जरूरत है। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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