नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बजट 2022-23 में बड़ी निराशा मांग के मुकाबले आपूर्ति पक्ष को बढ़ाने पर सरकार के फोकस को लेकर बनी हुई है। क्वांटम एडवाइजर्स के सीआईओ अरविंद चारी ने कहा, हम उद्योग को बढ़ावा देने और व्यक्तियों का समर्थन करने के बीच कुछ संतुलन देखना पसंद करते। पिछले दो वर्षों में भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा किए गए बलिदानों के बारे में सोचें .. खोई हुई आजीविका, कम आय, स्वास्थ्य लागत, उच्च तेल और खाद्य कीमतें, उच्च करों पर आय और जीएसटी। कुछ इनकम सपोर्ट या लोअर टैक्स बर्डन के संदर्भ में सरकार की प्रतिक्रिया गायब रही है। उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था को उच्च वैश्विक और घरेलू मुद्रास्फीति से अल्पकालिक जोखिमों का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में, विकास में सुधार के पीछे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार के आयात शुल्क में निरंतर वृद्धि से अर्थव्यवस्था में उच्च लागत दबाव होगा। सरकार को शुल्क में कटौती के साथ भविष्य की लागत के दबाव को प्रबंधित करने के लिए कुछ उपाय करना चाहिए। घोषणा में ग्रामीण रोजगार, अनौपचारिक उद्यमों पर प्रभाव और औपचारिक और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के बीच निरंतर विभाजन का कोई उल्लेख नहीं था। उन्होंने कहा, हम मानते हैं कि उच्च विकास समय के साथ कम हो जाएगा, हालांकि, आर्थिक क्षेत्रों को कुछ तत्काल राहत मिलनी चाहिए थी जो महामारी से प्रभावित हुए हैं। सरकार राजकोषीय मजबूती पर विकास को गति देने की अपनी प्राथमिकता पर कायम है। वित्त वर्ष 2022 के लिए 5.5 ट्रिलियन रुपये के पूंजीगत व्यय के बजट से वित्त वर्ष 2023 के लिए 7.5 ट्रिलियन रुपये का बजट भारी वृद्धि हुई है। --आईएएनएस आरएचए/एएनएम