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होटल व्यवसायी प्रिया पॉल : महिलाओं को शिक्षा से सशक्त बनाना चाहिए

नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। प्रमुख होटल व्यवसायी और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रिया पॉल के लिए, महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण भारत के लिए सबसे बड़ा कार्य है। एपीजे सुरेंद्र पार्क होटल की चेयरपर्सन ने कहा, अधिक से अधिक महिलाओं को अपनी आजीविका कमाने के लिए शिक्षित और सशक्त बनाना होगा। उनका कहना है, आज वे जो काम कर रही हैं वह अदृश्य है। उन्हें बड़े शहरों से परे संगठित कार्यबल में लाने की जरूरत है। ऐसा होने के लिए, हमें पहले अपने दिमाग को आजाद करना होगा और देश के आर्थिक विकास में महिलाओं को समान प्रतिभागियों के रूप में देखना शुरू करना होगा। यह तभी हो सकता है जब समाज महिलाओं को काम पर देखने के तरीके को बदल दे। एक आदमी को यह नहीं सोचना चाहिए कि अगर उसकी पत्नी काम पर जाती है, तो परिवार के मुखिया के रूप में उसकी छवि को नुकसान होगा। हम मल्टी-टास्किंग में बहुत अच्छे हैं। हम अपने कार्यस्थलों और प्रबंधन में अच्छे हैं। साथ ही घरों में भी। पॉल ने बताया कि महिलाएं अपने साथ अपने कार्यस्थल पर सहानुभूति और देखभाल की भावना लेकर आती हैं। पॉल ने कहा, हमने इसे आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्रों में देखा है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं का अनुपात 20 से 40 प्रतिशत के बीच है, वह भी मुख्य रूप से शहरी होटलों में। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इंडस्ट्री में निर्णय लेने की स्थिति में महिलाएं अल्पमत में हैं। पॉल ने कहा, हम उन्हें ज्यादातर सेल्स और मार्केटिंग में पाते हैं और महिलाओं ने अब बड़ी संख्या में शेफ बनना शुरू कर दिया है, लेकिन हमें होटलों की कई महिला महाप्रबंधक या हॉस्पिटैलिटी कंपनियों में प्रमुख पदों पर नहीं मिलती हैं। पॉल दक्षिण एशियाई महिला फाउंडेशन-इंडिया की संस्थापक निदेशक हैं, और वल्र्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल-इंडिया इनिशिएटिव (डब्ल्यूटीटीसी-आई) की पूर्व अध्यक्ष और होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) की पूर्व अध्यक्ष हैं। दोनों संगठनों की कार्यकारी परिषदों में उन्होंने कार्य करना जारी रखा है। पॉल डीएलएफ लिमिटेड के निदेशक मंडल में भी हैं, लेकिन वह स्पष्ट हैं कि कॉर्पोरेट भारत में महिलाओं ने अभी तक आमूल बदलाव नहीं किया है। पॉल ने कहा, पेशेवर महिलाएं अभी भी प्रमुख कंपनियों के बोर्डरूम या कोने के कार्यालयों में लगभग अ²श्य हैं। इसे बदलना होगा। अगर भारत की महिलाएं आगे नहीं बढ़ेंगीं तो भारत विकसित नहीं हो सकता है। हमारी कॉर्पोरेट संस्कृति को और अधिक समावेशी बनना है। हमें शीर्ष पर और अधिक महिलाओं की आवश्यकता है। इससे देश में कॉर्पोरेट जीवन में वास्तविक अंतर आएगा। लेकिन लोगों के मन में बदलाव की शुरूआत सबसे पहले होनी चाहिए। पॉल के अनुसार, यह सबसे बड़ी चुनौती होगी क्योंकि भारत अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस से आगे की ओर देख रहा है। --आईएएनएस आरएचए/आरजेएस

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