आदित्य पुरी के शेयर बेचने से एचडीएफसी बैंक के निवेशकों में निराशा, नए मैनेजमेंट को लेकर शेयरों पर दिख सकता है दबाव
आदित्य पुरी के शेयर बेचने से एचडीएफसी बैंक के निवेशकों में निराशा, नए मैनेजमेंट को लेकर शेयरों पर दिख सकता है दबाव

आदित्य पुरी के शेयर बेचने से एचडीएफसी बैंक के निवेशकों में निराशा, नए मैनेजमेंट को लेकर शेयरों पर दिख सकता है दबाव

एचडीएफसी बैंक के एमडी आदित्य पुरी का कार्यकाल अक्टूबर में खत्म हो रहा है। इससे पहले ही उन्होंने बैंक के अपने सभी शेयर को पिछले हफ्ते बेच दिया। इन शेयरों के बेचने से उन्हें 842 करोड़ रुपए मिले। पुरी के शेयर बेचने से बैंक के निवेशकों में निराशा है। वे नए मैनेजमेंट को लेकर थोड़े चिंतित हैं। 25 सालों में एक बेहतर बैंक का निर्माण पुरी ने किया हालांकि उन्होंने कुछ समय पहले भी 12 लाख शेयरों को 152 करोड़ रुपए में बेचा था। इस तरह से इसॉप्स के तहत मिले शेयरों से पुरी ने करीबन 1,000 करोड़ रुपए की कमाई की है। विश्लेषकों का कहना है कि हाल में एचडीएफसी बैंक के शेयरों पर जो दबाव दिखा है, इसके पीछे दो-तीन कारण हो सकते हैं। एक यह है कि आदित्य पुरी कुछ बनाकर अब एचडीएफसी बैंक से बाहर निकल रहे हैं। उन्होंने एक बेहतर बैंकिंग का अपने कार्यकाल में निर्माण किया है। अफवाह यह है कि पुरी किसी फाइनेंशियल कंपनी में नौकरी करेंगे विश्लेषकों के मुताबिक दूसरा कारण यह हो सकता है कि आदित्य पुरी को ही नहीं पता कि जब वह बैंक से बाहर निकल गए तो आगे भविष्य में क्या होने वाला है। उन्हें मैनेजमेंट परिवर्तन के बारे में यकीन नहीं है। उन्हें यह भी नहीं पता कि बैंक कितने प्रभावी ढंग से कितने अच्छी तरह से काम करेगी। यह एक चिंता का विषय हो सकता है। वैसे एक अफवाह यह है कि आदित्य पुरी कुछ प्रतिद्वंदी समूह में शामिल होने जा रहे हैं। उस हद तक हितों का टकराव (conflict of interest) हो सकता है। जिस पर विश्वास करना कठिन है। निवेशकों को नए मैनेजमेंट का इंतजार करना चाहिए हालांकि बाजार के जानकार कहते हैं कि निवेशकों की दृष्टि से मुझे नहीं लगता कि उपरोक्त आधार पर कोई शेयरों में निवेश का फैसला ले। निवेशकों को पहले यह देखना चाहिए कि पुरी की जगह पर कौन आ रहा है। फिर देखते हैं कि यह कैसे होता है और फिर हमें यह पता चल जाएगा कि क्या बैंक के संचालन के तरीके में बदलाव होता है या यह जस का तस रहता है। नए मैनेजमेंट के लिए पुरी की तरह बैंक को बनाए रखने की होगी चुनौती दरअसल बैंक के नए एमडी को आदित्य पुरी की तरह ही बैंक के एनपीए सहित बैलेंसशीट के सभी पैमाने को बनाए रखने की चुनौती होगी। जानकारों के मुताबिक, टॉप लीडरशिप में परिवर्तन पूरी तरह से मायने रखता है। बता दें कि आरबीआई के नियमों के मुताबिक, आदित्य पुरी अक्टूबर में 70 साल के हो जाएंगे और उन्हें बैंक छोड़ना होगा। हाल में एचडीएफसी बैंक के शेयर पर इसका मामूली दबाव दिखा है।-newsindialive.in

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