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वैश्विक रिपोर्ट ने भारत में बायजूस के बहुत तेजी से उदय पर उठाया सवाल

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। एडटेक फर्म बायजूस का भारत में शानदार प्रदर्शन रहा है, खासकर जबसे कोविड-19 महामारी शुरू हुई है, हालांकि 60 लाख से अधिक भुगतान करने वाले उपयोगकर्ताओं और 85 प्रतिशत नवीनीकरण दर के साथ इसके तेजी उभरने पर एक वैश्विक रिपोर्ट ने सवाल उठा दिया है। बीबीसी के मुताबिक, सवाल उठने का कारण रिफंड और सेवाओं में कमी से संबंधित ग्राहक विवाद है। छात्रों के माता-पिता को कर्ज के बोझ में धकेला जा रहा है और असंतुष्ट कर्मचारियों को धमकाया जा रहा है। वर्ष 2011 में बायजूस रवींद्रन द्वारा स्थापित दुनिया के सबसे मूल्यवान एडटेक स्टार्ट-अप को फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव और टाइगर ग्लोबल और जनरल अटलांटिक जैसी प्रमुख निजी इक्विटी फर्मो द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। लगभग दो साल पहले शुरू हुई महामारी के दौरान स्कूलों को बंद कर दिया गया और बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं में धकेल दिया गया। अचानक हुए इस बदलाव ने बच्चों और माता-पिता, दोनों को चिंतित कर दिया। इसी बीच बायजूस को एक आदर्श बाजार के साथ पेश किया गया। बीबीसी ने कई छात्रों के माता-पिता से बात की, जिसमें पता चला कि इस एडटेक दिग्गज ने जिन सेवाओं का वादा किया था, वे कभी पूरी नहीं हुईं। इसके अलावा, कंपनी की बिक्री रणनीति में लगातार कोल्ड कॉल और बिक्री पिचें शामिल रहीं, जिनके माध्यम से माता-पिता को यह समझाने का प्रयास किया गया कि यदि उनका बच्चा बायजूस से नहीं जुड़ेगा पीछे छूट जाएगा। असंतुष्ट माता-पिता का आरोप है कि उन्हें सेल्स एजेंटों द्वारा गुमराह किया गया था कि एक बार इससे जुड़ जाने पर धनवापसी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, कंपनी की कठिन बिक्री रणनीति ने माता-पिता के मन में असुरक्षा को जन्म दिया और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ा दिया। बायजूस ने आरोपों को नकार दिया और बीबीसी को दिए एक बयान में कहा, छात्र और अभिभावक हमारे उत्पाद पर केवल मूल्य देखकर भरोसा करते हैं और इसे खरीदते हैं। इसके अलावा, बीबीसी ने बीवाईजेयू के पूर्व कर्मचारियों से पूछताछ की, जिन्होंने ढीले प्रबंधकों की शिकायत की और कहा कि एक उच्च दबाव वाली बिक्री संस्कृति विकसित की जा रही है, जो आक्रामक लक्ष्यों पर जोर देती है, जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। कई कर्मचारियों ने यह भी शिकायत की, 12-15 घंटे काम करना उनकी नौकरी की एक नियमित विशेषता थी और जो कर्मचारी संभावित ग्राहकों के साथ 120 मिनट टॉक-टाइम नहीं देखा सकते थे, उन्हें अनुपस्थित माना जाता था, जिससे उनका उस दिन का वेतन काट लिया जाता था। हालांकि, बायजूस ने कहा कि उनकी कर्मचारी संस्कृति माता-पिता के प्रति किसी भी दुर्व्यवहार या बुरे व्यवहार की अनुमति नहीं देती है और दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी कठोर जांच और संतुलन मौजूद हैं। फर्म ने कहा, सभी संगठनों के पास कठोर, लेकिन उचित बिक्री लक्ष्य हैं और बायजूस कोई अपवाद नहीं है। उसने कहा कि कर्मचारियों के स्वास्थ्य और आराम को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक मजबूत प्रशिक्षण कार्यक्रम की पेशकश की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच, भारत में उपभोक्ता अदालतों ने बायजूस को कम से कम तीन अलग-अलग मामलों में रिफंड और सेवाओं की कमी से संबंधित विवादों में ग्राहकों को हर्जाना देने का आदेश दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन ट्यूटरिंग फर्म के खिलाफ ऑनलाइन उपभोक्ता और कर्मचारी मंचों पर भी सैकड़ों शिकायतें हैं। लेकिन, बायजूस ने नोट किया कि वे इन कानूनी मामलों में समझौता कर चुके हैं और उनकी शिकायत निवारण दर 98 प्रतिशत है। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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