नई दिल्ली, रफ्तार। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के पूर्व सचिव और पेटीएम के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रमेश अभिषेक की आय से अधिक संपत्ति के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। CBI ने उनके दिल्ली आवास पर छापेमारी की थी। सीबीआई ने अभिषेक ने लोकपाल के समक्ष स्वीकार किया था कि उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद सिर्फ 15 महीनों में प्रोफेशनल कंसल्टिंग फीस के रूप में 2.7 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की। ED भी अभिषेक के खिलाफ जांच कर रहा था। लोकपाल ने ED को ग्रेटर कैलाश-2 में उनके भव्य बंगले सहित अन्य संपत्ति की जांच करने का निर्देश दिया है।
मासिक वेतन से इतने गुना अधिक थी कमाई
अभिषेक ने जो रकम कमाई वह उनके सरकारी कर्मचारी के रूप में सैलरी से 119 गुना अधिक है। रिटायरमेंट के समय सरकारी कर्मचारी के रूप में उनकी कुल कमाई 2.26 लाख रुपए थी। यह खुलासा तब हुआ, जब अभिषेक ने लोकपाल को दिए अपने हलफनामे में रिटायरमेंट के बाद की इनकम का जिक्र किया। अभिषेक फॉरवर्ड मार्केट कमीशन के विवादास्पद प्रमुख भी थे। जिन्हें एनएसईएल स्पॉट एक्सचेंज (NSEL Spot Exchange) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी।
शिकायतकर्ता ने क्या दी थी सूचना?
मामले में एक शिकायतकर्ता ने लोकपाल और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को बताया था कि एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज, धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड, पी एंड ए लॉ ऑफिस और प्राइमस पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड, वन97 कम्युनिकेशंस (Paytm), पीएजीएसी III होल्डिंग IV (HK) लिमिटेड, हर्षवर्धन सिंह, आत्मनिर्भर डिजिटल इंडिया फाउंडेशन, सोशल एंड पॉलिटिकल रिसर्च फाउंडेशन, आईडीएच सस्टेनेबल ट्रेड इनिशिएटिव और आख्या मीडिया सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड समेत 16 से अधिक इकाइयां हैं, जिन्हें अभिषेक ने मदद की थी।
पनामा पेपर्स लीक में शामिल कंपनियों से रिश्ता
बता दें ये कंपनियां अब उनके ग्राहकों के रूप में काम करती हैं। वित्त वर्ष 2020-21 और 2022-23 में उनकी 2.7 करोड़ रुपए से अधिक की आय में हैं। अहम बात है कि ग्राहक लुलु इंटरनेशनल शॉपिंग मॉल प्राइवेट लिमिटेड और पीएजीएसी 3 होल्डिंग 4 (HK) लिमिटेड पनामा पेपर्स लीक में शामिल थे।
अपने परिवार को भी पहुंचाया लाभ
लोकपाल और CVC से की गई शिकायत में अभिषेक द्वारा आधिकारिक पद के दुरुपयोग का भी खुलासा हुआ। शिकायतकर्ता के मुताबिक मेक इन इंडिया (Make in India) पर सरकारी पैनल के एक प्रमुख सदस्य के रूप में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने की आड़ में अभिषेक ने बेटी वनीसा अग्रवाल को कई फर्मों में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया और भारी शुल्क वसूला। यह आरोप लगाया था कि उन्होंने तत्कालीन सेबी अध्यक्ष यूके सिन्हा को प्रभावित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर एक विशेष रिक्ति निकालकर बेटी को सेबी में नियुक्त करा दिया था।
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