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अतिरिक्त तरलता, रुका हुआ दिवाला वित्तीय स्वास्थ्य के लिए दीर्घकालिक जोखिम : आर्थिक सर्वेक्षण

नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। संसद में सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में अतिरिक्त तरलता, रुकी हुई दिवाला प्रक्रियाओं से अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक जोखिम आने की संभावना जताई गई है। महामारी से उत्पन्न होने वाले नकारात्मक जोखिमों को नकारने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से मई 2020 के दौरान रेपो दर में 115 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती की थी। इसके अलावा पूर्ववर्ती बारह महीनों में 135 आधार अंकों की कमी की थी। सर्वेक्षण में कहा गया है, महामारी के प्रकोप के बाद से मौद्रिक नीति को एक कुशन और समर्थन वृद्धि प्रदान करने के लिए कैलिब्रेट किया गया था और अतिरिक्त तरलता की मध्यम अवधि की अव्यवस्थाओं से बचने के लिए इसे सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया गया था। लगभग महामारी की शुरुआत के बाद से एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखते हुए यथास्थिति बनाए रखी है। इसके अलावा, सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर भी 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहे हैं और इसलिए रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है। आरबीआई की एमपीसी की नवीनतम बैठक में स्थायी आधार पर विकास को पुनर्जीवित करने के लिए जब तक आवश्यक हो, तब तक समायोजनवादी रुख जारी रखने का निर्णय लिया गया। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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