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बैंकों और एनबीएफसी के लिए ऑनबोर्डिंग आसान बनाता है कार्जा टेक्नोलॉजीज (पार्ट-1)

नयी दिल्ली, 27 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमुख स्तंभों में लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) भी है, जिसकी देश के सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी लगभग 30 प्रतिशत है। साथ ही, करीब 11 करोड़ से अधिक लोग इस उद्योग से जुड़े हैं। जैसे-जैसे एमएसएमई अपने डिजिटल फुटप्रिंट को बढ़ाते हैं और बैंकों तथा ऋणदाताओं की नजर में आते हैं तो ऋण तक उचित पहुंच हासिल करने के लिये यह बहुत जरूरी हो जाता है कि उन्हें विश्वसनीय वित्तीय जानकारी उपलब्ध हो। आईएएनएस ने कार्जा टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापकों आलोक कुमार, गौरव समदरिया और ओमकार शिरहट्टी से बात की कि वे किस तरह एकीकृत क्लाउड-आधारित समाधानों के साथ वित्तीय संस्थानों को अधिक जानकारीपूर्ण और बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेने में सशक्त बना रहे हैं। पेश है उनके साथ साक्षात्कार के कुछ अंश: प्रश्न: आपने अपने ग्राहकों की बढ़ती जरूरतों के अनुसार खुद को कैसे ढाला और पिछले दो वर्षों में आपकी डिजिटल रणनीति का निर्माण करने वाले प्रमुख रणनीतिक स्तंभ क्या थे। उत्तर: हमारा ²ष्टिकोण ऋण प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाना था। ऋण प्रदान करने की प्रक्रिया के हर चरण को डिजिटलीकरण करने के अलावा, हमें कुछ पुरानी समस्याओं को भी हल करना था, जो उद्योग में दशकों से अस्तित्व में थीं। भारतीय आबादी की विविधता और जनसांख्यिकी ने नाम और पते में विचित्रता, आईडी प्रूफ में खराब गुणवत्ता वाले फोटो आदि के साथ पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में एक रोड़ा पैदा कर दिया है। ऑनबोर्डिंग, जोखिम और धोखाधड़ी की जांच और उचित परिश्रम के अलावा बड़ी संख्या में मौजूद डाटा मुख्य समस्या है, जिन्हें आपको पहले एक ही स्थान पर साथ लाना होता है और फिर उनमें तर्क ढूंढना होता है। इस समस्या को हल करने के लिये, हमें ऑटोमेशन फ्रेमवर्क, ट्रेन एल्गोरिदम और ऐसे मॉडल विकसित करने की आवश्यकता थी, जो भारतीय नामों, पते और तस्वीरों के लिये मानव-स्तर की सटीकता प्रदान करें, जब हम उनका मिलान करने का प्रयास करते हैं। हमारी प्रतिस्पर्धा कृत्रिम बुद्धिमत्ता नहीं थी, हमारा उद्देश्य मानव-स्तर की सटीकता हासिल करना था और हमने वह हासिल कर लिया है। इसके अतिरिक्त, इस ²ष्टिकोण को जमीन पर उतारने के लिये हमें सबसे व्यापक डाटा केंद्र का निर्माण करना था और इंटेलीजेंस लेयर को जोड़ना था, जिसने हमें एक बार में ही हजारों विभिन्न स्रोतों से डाटा को निकालने और एकीकृत करने की अनुमति दी। इससे डाटा की खोज और रीयल-टाइम विश्लेषण संभव हो पाया। ग्राहकों के एक सहज ऑनबोर्डिंग अनुभव के लिये डिजिटल समाधानों की आवश्यकता हमेशा मौजूद थी, कोविड के बाद के युग ने डिजिटल ऑनबोर्डिंग समाधानों की आवश्यकता को पहले से कहीं अधिक बढ़ा दिया और हमने व्यापक पैमाने पर परिवर्तन करने के लिये इस ओर कदम बढ़ाया। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हमारे समाधानों के माध्यम से वित्तीय संस्थाओं को यह सुविधा मिले कि वे सही व्यक्ति के साथ बातचीत कर रहे थे। वीडियो केवाईसी के माध्यम से ऑनबोर्डिंग जोखिम रहित और विश्वसनीय बन गया और जांच की प्रक्रिया को स्किमिंग के बजाय एक बटन के क्लिक पर पूरा किया जा सकता है। यहां प्रौद्योगिक से प्रेरित तीन समाधान दिये गये हैं, जिन्हें कार्जा ने डिजिटल ऑनबोर्डिंग और जांच तथा विलेषण के दायरे में पेश किया है, जिसने कोविड समय में बीएफएसआई क्षेत्र में पुरानी प्रणालियों के काम करने के तरीके को बदल दिया है। वीडियो केवाईसी: परंपरागत रूप से, वीडियो केवाईसी में एक एजेंट शामिल होता है, जो वीडियो कॉल पर केवाईसी सत्यापन को दूरस्थ रूप से करता है। यह समाधान कई अन्य कंपनियां भी प्रदान करती हैं लेकिन हम अपने ग्राहकों के लिये चीजों को अद्वितीय और आसान बनाना चाहते थे। हमने एक ऐसा समाधान तैयार किया, जो बुनियादी ढांचे और प्रक्रियाओं के मामले में पूरी तरह से आरबीआई के अनुरूप था और ऑनबोर्डिंग में एंड-टू-एंड ऑटोमेशन को भी सक्षम बनाता है। लाइवनेस चेक: इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जाता है कि संस्थान किसी वास्तविक व्यक्ति के साथ संपर्क कर रहा है, न कि पहले से रिकॉर्ड किये वीडियो या एक तस्वीर के साथ। इसके लिये हम डीप ट्री नेटवर्क का उपयोग करके विशेष क्लासिफायर को प्रशिक्षित करके अधिक सटीकता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। हमारी ऑग्मेंटेशन तकनीक घुमे हुये चेहरों और इससे जुड़ी अन्य परेशानियों का समाधान करके चेहरे की पहचान की हमारी क्षमता को बढ़ाती है जो कठिन मामलों के निपटान में मदद करती है। वीकेवाईसी प्रक्रिया के दौरान ओसीआर: कार्जा का ओसीआर समाधान मॉडलों को शीघ्रता से प्रशिक्षित करने के लिये अच्छी स्थिति में है और खराब गुणवत्ता वाली छवियों के लिये भी अच्छी सटीकता प्रदान करता है। इस प्रकार, जब ग्राहक वीडियो पर दस्तावेज दिखाता है, तो हमारे ओसीआर एपीआई वास्तविक समय में डेटा की निकासी को सक्षम करते हैं। कॉल के दौरान, जब एजेंट कई प्रश्न पूछता है और ग्राहक उत्तर देता है, तो स्कोर की गणना करने के लिये पृष्ठभूमि में संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं चलती हैं और गलती होने पर स्क्रीन को पॉप्युलेट करती हैं, जिससे एजेंट का काम बहुत आसान और जल्दी हो जाता है। एजेंट ग्राहक के साथ बातचीत करना जारी रख सकता है और संज्ञानात्मक सेवाओं की इस श्रेणी का उपयोग करके ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया पूरी हो जाती है। अब हम बीएफएसआई के लिये एक सच्चे एंड-टू-एंड स्ट्रेट थ्रू प्रोसेसिंग (एसटीपी) प्रदाता हैं। हमारी एंड टू एंड ऑनबोर्डिंग ऑटोमेशन यात्रा में कॉग्निटिव (लाइवनेस, आइडेंटिटी समानता) , वीडियो आधारित समाधान जैसे वीडियोकेवाईसी और वीडियोपीडी , रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन शामिल हैं। के स्कैन: ऋणदाताओं के लिये ऑनबोर्डिंग, अंडरराइटिंग, ऋण आंकलना और जोखिम मूल्यांकन संबंधी निर्णय लेने के लिये शामिल पक्षों की गहरी समझ हासिल करना महत्वपूर्ण है तभी वे एक अच्छी तरह से जानाकारीपूर्ण निर्णय ले पायेंगे। के स्कैन ढाई करोड़ से अधिक व्यवसायों और कई विश्वसनीय स्रोतों से 80 करोड़ व्यक्तियों के प्रोफाइल को एक साथ जोड़ने के लिये मशीन लनिर्ंग तकनीक का लाभ उठाता है, इसे एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराता है और कुछ मिलीसेकंड में खोज परिणाम प्रदान करता है, जो अद्वितीय है। सबसे अच्छी बात यह है कि यह डाटा के शीर्ष पर बिजनेस इंटेलिजेंस को लागू करता है और फर्मों को व्यापार की पद्वति,संभावित अपराध आदि को पहचानने में सक्षम बनाता है। --आईएएनएस एकेएस/आरजेएस

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