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कैबिनेट ने 16 राज्यों में भारतनेट कार्यान्वयन के पीपीपी मोड को मंजूरी दी

नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 16 राज्यों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के जरिए भारतनेट की संशोधित कार्यान्वयन रणनीति को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में देश के 16 राज्यों के सभी आबादी वाले गांवों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) व्यवस्था के तहत भारत-नेट क्रियान्वयन रणनीति को मंजूरी दी गई। इस परियोजना के तहत केरल, कर्नाटक, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों के लगभग 3.61 लाख गांवों/ग्राम सभाओं में पीपीपी व्यवस्था के जरिये भारत-नेट के निर्माण, उन्नयन, संचालन, रख-रखाव और इस्तेमाल को अमल में लाया जायेगा। इस परियोजना को नौ पैकेजों में शामिल किया गया है, जिसकी अनुमानित लागत 19,041 करोड़ रुपये तय की गई है। केंद्र सरकार सार्वभौमिक सेवा दाय् निधि (यूएसओएफ) के माध्यम से एक-मुश्त अनुदान के आधार पर सहयोग करेगी, यानी परियोजना पूरी करने में जो खर्च बढ़ जायेगा, उसके अंतर को केंद्र सरकार पूरा करेगी। पीपीपी व्यवस्था के लिये यूएसओएफ को मद्देनजर रखते हुए निजी क्षेत्र के साझीदारों का चयन एक खुली, वैश्विक और प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिये किया जायेगा। भारत-नेट के सम्बंध में पीपीपी व्यवस्था के जरिये डिजिटल अवसंरचना और सेवाओं का प्रावधान करने को मंजूरी दी गई है, जिसमें निजी सेवा प्रदाता भारत-नेट की क्षमता को बढ़ायेंगे, ताकि सेवा-स्तर को कायम रखा जा सके। इसके आधार पर भारत-नेट की संपर्कता और इस्तेमाल में इजाफा होगा। इसके साथ ही संचालन, रख-रखाव, उपयोग, आय और नेटवर्क को जल्द से जल्द शुरू करने में निजी क्षेत्र की कुशलता भी बढ़ेगी। निजी क्षेत्र के चुने गये भागीदार से उम्मीद की जाती है कि वह भरोसेमंद, तेज गति वाली ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करेगा, जो समझौते में दी गई शर्तों के अनुरूप होगा। उम्मीद की जाती है कि विभिन्न स्रोतों से आय भी पैदा होगी। आय के इन स्रोतों में व्यक्तियों व संस्थानों में ब्रॉडबैंड सेवाएं देना, डार्क फाइबर की बिक्री, मोबाइल टावरों को फाइबर-लाइन युक्त बनाना, ई-वाणिज्य, ऑनलाइन शिक्षा, कौशल विकास आदि शामिल हैं। ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने से गांवों और शहरों के बीच डिजिटल सेवा का जो अंतर है, वह दूर हो जायेगा तथा डिजिटल इंडिया का सपना पूरा करने में भी तेजी आयेगी। ब्रॉडबैंड की हर जगह पहुंच से प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार बढ़ने तथा आमदनी का जरिया पैदा होने की भी संभावना है। जिन राज्यों में पीपीपी व्यवस्था चालू की जानी है, वहां निजी सेवा प्रदाताओं को पूरा सहयोग दिया जायेगा और वे मुक्त रूप से काम कर सकेंगे। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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