Business News : अमृतकाल में भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य - वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Nirmala Sitaraman ने बताया कि चिंतन शिविर में चर्चा कौशल विकास, मजबूत संगठनात्मक प्रक्रियाओं को बनाए रखने की बात हुई है !
चिंतन शिविर
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नई दिल्ली , 23 अगस्त , रफ़्तार डेस्क : केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुजरात के केवडियां में वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालयों के चिंतन शिविर के तीसरे और अंतिम दिन ‘हमारी दक्षता में सुधार’ विषय पर आयोजित सत्र के अपने समापन भाषण में अधिकारियों से प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर जोर दिया.

सीतारमण ने कहा कि अमृतकाल में भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ काम किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुधार नीति में प्रभावशीलता निरंतरता से जारी रहती है, जिसमें व्यक्तिगत और प्रणालीगत दक्षता दोनों पर ध्यान देना समय की मांग है. उन्होंने अधिकारियों से अगले 24 साल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए परिणाम देने के साधन विकसित करने के लिए नए और युवा सहयोगियों को लगातार सलाह देने का भी आह्वान किया. वित्त मंत्रालय ने एक्स पोस्ट पर ट्विट कर दी जानकारी में बताया कि चिंतन शिविर के इस सत्र में चर्चा कौशल विकास, मजबूत संगठनात्मक प्रक्रियाओं को बनाए रखने, फ़ाइल प्रबंधन प्रणालियों को सुव्यवस्थित करने और निर्णय लेने में तेजी लाने के इर्द-गिर्द घूमती रही.

मंत्रालय के मुताबिक चिंतन शिविर में वित्त मंत्री के साथ-साथ केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और डॉ. भागवत किशनराव कराड के साथ दोनों मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सीतारमण ने प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर जोर दिया, न कि उनके विनाश पर. उन्होंने कहा कि हमें व्यक्तिगत और प्रणालीगत दक्षता दोनों पर ध्यान देना चाहिए. व्यक्तिगत दक्षता का मतलब है कि हमें अपने कौशल और क्षमताओं में सुधार करना चाहिए. प्रणालीगत दक्षता का मतलब है कि हमें उन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना चाहिए जिनका हम उपयोग करते हैं. 

सीतारमण का कहना है कि सुधार नीति में प्रभावशीलता निरंतरता से जारी रहती है. इसका मतलब यह है कि हमें हमेशा अपने तौर-तरीक़ों में सुधार करने की कोशिश करनी चाहिए. हमें यह नहीं मानना चाहिए कि हमने जो कुछ भी हासिल किया है, उसके साथ हम संतुष्ट हो सकते हैं. हमें हमेशा बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए. सीतारमण का कहना है कि हमें अगले 24 साल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए परिणाम देने के साधन विकसित करने के लिए नए और युवा सहयोगियों को लगातार सलाह देनी चाहिए. इसका मतलब है कि हमें नए विचारों और दृष्टिकोणों के लिए खुले रहना चाहिए. हमें यह नहीं मानना चाहिए कि हम जो कुछ भी जानते हैं, वह सब कुछ है.

 हमें हमेशा सीखने और बढ़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. सीतारमण का कहना है कि चिंतन शिविर का उद्देश्य अधिकारियों को अपने कौशल और क्षमताओं में सुधार करने के अवसर प्रदान करना था. उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर ने अधिकारियों को एक-दूसरे के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने और नए दृष्टिकोणों को सीखने का अवसर भी प्रदान किया.

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