
नई दिल्ली, रफ्तार। रोजगार मामले में भारत के लिए पिछले कुछ वर्ष शानदार साबित हुए हैं। ताजी रिपोर्ट के मुताबिक कुछ वित्त वर्ष से हर साल देश में एक-एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के मौके मिले हैं। अहम बात है कि रोजगार देने के मामले में राज्य सरकारें सबसे आगे हैं।
इस वर्ष पहले 3 महीने में 44 लाख ईपीएफओ सब्सक्राइबर बढ़े
एसबीआई रिसर्च ने ईपीएफओ और एनपीएस के आंकड़ों का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की है। इसके अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ईपीएफओ के सब्सक्राइबर 4.86 करोड़ बढ़े हैं। चालू वित्त वर्ष में भी ट्रेंड बरकरार है। चालू वित्त वर्ष के पहले 3 महीने में ही ईपीएफओ के सब्सक्राइबर 44 लाख बढ़े हैं।
अप्रैल-जून के बीच 19.2 लाख फ्रेशर्स को नौकरी मिली
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में एक और अच्छा ट्रेंड दिख रहा है कि पहली बार नौकरी पाने वाले लोग अच्छे-खासे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून में 19.2 लाख ऐसे लोगों को नौकरी मिली, जो फ्रेशर थे।
70-80 लाख लोगों को मिल सकती है नौकरी
अगर ट्रेंड कायम रहा तो चालू वित्त वर्ष के दौरान एक शानदार रिकॉर्ड सेट हो सकता है। एसबीआई रिसर्च को उम्मीद है कि अगर ट्रेंड कायम रहा तो चालू वित्त वर्ष में 1.6 करोड़ लोगों को नौकरी मिल सकती है। जो अब तक किसी भी एक वित्त वर्ष में रोजगार का सबसे ज्यादा सृजन होगा। उनमें पहली बार नौकरी पाने वालों की संख्या रिकॉर्ड 70-80 लाख रह सकती है।
महिलाओं की हिस्सेदारी
ईपीएफओ और एनपीएस के आंकड़ों को मिलाकरचार साल के दौरान 5.2 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। ईपीएफओ के आंकड़े बताते हैं कि अब दोबारा या फिर से ज्वॉइन करने वालों की संख्या कम हो रही है। मतलब अब लोग नौकरी कम बदल रहे हैं। ईपीएफओ के सब्सक्राइबरों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 27 प्रतिशत हुई है।
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