BUDGET-2023: 'Digit All' थीम पर बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण

इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ‘Digit All’ थीम पर बजट पेश करने जा रही है । पिछले कुछ वर्षों की बजट थीम एक खास थीम पर रहा।
BUDGET-2023: 'Digit All' थीम पर बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करने जा रही हैं। इस बजट से करोड़ों भारतीय की उम्मीदें टिकी हुई हैं। यह बजट हर वर्ग के लोगों के जिदंगी पर असर डालने वाला है। बता दें कि कुछ वर्षों से देश का बजट भी थीम बेस्ड आ रहा है। हर साल बजट किसी खास सेक्टर पर फोकस करता है, ताकि उस क्षेत्र में जरूरी विकास किया जा सके।

डिजिटल ऑल थीम पर बजट होगा पेश

इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ‘Digit All’ थीम पर बजट पेश करने जा रही है । पिछले कुछ वर्षों की बजट थीम पर गौर करें तो बजट वुमन सेंट्रिक कहलाया, कभी ‘आत्मनिर्भर भारत’ वाला, तो कभी ‘डिजिटल इंडिया’ की थीम पर जारी हुआ।

‘सबका साथ-सबका विकास’

2014 में मोदी सरकार का पहला बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। इस बजट की थीम थी- ‘सबका साथ-सबका विकास’। लेकिन, इसके तुरंत बाद ही देश भर में अल्पसंख्यकों पर हमले हुए। 2015 में दादरी का चर्चित अखलाक हत्याकांड सामने आया और गिरजाघरों पर भी हमले देखने को मिले। असहिष्णुता को लेकर देश भर में हंगामा हुआ; फिर जेएनयू विवाद सुलग उठा। इन सबके विरोध में साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने अपने अवॉर्ड वापस किए। ‘सबका साथ-सबका विकास’ वाले नारे के साल भर के भीतर ही देश अलग-अलग खेमों में बंटता दिखा।

दूसरे बजट की थीम Ease of doing Business

मोदी सरकार का दूसरा बजट 28 फरवरी, 2015 को पेश किया गया। इस बार कई थीम थीं। जिसमें मुख्य रूप से ‘कालेधन पर लगाम’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘कारोबार को सुगम बनाने का संकल्प’ सर्वोपरि था। लेकिन इसके अगले ही साल देश में नोटबंदी लागू हो गई, जिसके चलते आने वाले कई साल तक सरकार इन तीनों थीमों को पार लगाने में जुटी रही। नोटबंदी के चलते ढेरों छोटे व्यापारियों की कमाई बंद हो गई।

CMIE यानी ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ के एक अनुमान के मुताबिक नोटबंदी के शुरुआती 1 महीने में ही छोटे उद्योगों को लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। कई कंपनियां तो पूरी तरह ठप हो गईं। इस साल के बजट का मेन फोकस ‘कालेधन’ को लेकर भी नतीजा सिफर रहा। बाद में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि नोटबंदी का उद्देश्य कालाधन वापस लाना था ही नहीं।

2016-17 का बजट अन्नदाता के नाम

साल 2016-17 का बजट भी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। इस बजट के केंद्र में किसान रहे। अगले 5 सालों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया। 5 साल पूरे होने से पहले ही यह थीम भी दम तोड़ती नजर आई।

सरकार से जुड़े लोगों ने 2016-17 के बजट को ‘गांव-गरीब-किसान’ का बजट कहा। लेकिन 2020 में तीन कृषि कानून अध्यादेश के जरिए लाए गए। जिसके विरोध में जगह-जगह पर किसानों की नाराजगी सड़कों पर उतर आई। 2021 आते-आते आंदोलन ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। सरकार और किसानों में लंबे वक्त तक तलवार खिंची रही। आखिरकार सरकार को अपनी तलवार वापिस म्यान में रखनी पड़ी।

2017-18 बजट में इंफ्रा और डिजिटल इकोनॉमी पर जोर

2017-18 का बजट वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली का चौथा बजट था। इस बजट में हेल्थ केयर, शिक्षा, रोजगार, एमएसएमई, इंफ्रा सेक्टर और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स पर फोकस रहा।

लेकिन इसके 3 साल बाद जब कोविड आया तो उसे संभालने में देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर नाकाफी साबित हुआ। अस्पताल से लेकर श्मशान तक लंबी लाइनें देखी गईं। हालांकि इस दौरान पहले से तैयार डिजिटल इकोनॉमी से लोगों को थोड़ी राहत मिली।

2018-19 के बजट में ‘आयुष्मान भारत योजना'

2018-19 का बजट बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली का आखिरी बजट था। इस बजट में ‘आयुष्मान भारत योजना’ की घोषणा हुई। 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रूपए प्रतिवर्ष के स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कवच से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया।

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