
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। टाटा मोटर्स ने पश्चिम बंगाल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के विरुद्ध दायर याचिका में जीत हासिल की है। यह मामला टाटा मोटर्स के सिंगुर प्लांट से जुड़ा था। अब पश्चिम बंगाल सरकार को ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपए देने होंगे। 2008 में सिंगूर जमीन अधिग्रहण के विरुद्ध विवाद के बाद टाटा मोटर्स का सिंगुर प्लांट बंद हुआ था। तब से मामला विवादों में है।
11 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाना पड़ेगा
टाटा मोटर्स ने सिंगूर में नैनो कार बनाने के लिए प्लांट लगाया था। कंपनी ने नैनो कार को दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में पेश किया था। कोर्ट के फैसले के अनुसार पश्चिम बंगाल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को टाटा मोटर्स को यह रकम 11 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाना है। 2016 से टाटा मोटर्स को पैसे लौटाने तक यह ब्याज चुकाया जाएगा। टाटा मोटर्स ने एक बयान में कहा-इस मामले को तीन सदस्यों की आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने सुना और हमारे पक्ष में फैसला दिया।
कानूनी प्रक्रिया का खर्च भी चुकाना होगा
पश्चिम बंगाल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को 765.78 करोड़ रुपए चुकाने हैं। ट्रिब्यूनल ने मामले में आए खर्च के लिए एक करोड़ रुपए और देने का आदेश दिया है। सिंगूर मामला जमीन अधिग्रहण और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए एक टेस्ट केस की तरह है।
साल 2000 में जमीन अधिग्रहण योजना का हुआ था खुलासा
वर्ष 2000 में पश्चिम बंगाल सरकार ने सिंगूर में 1000 एकड़ जमीन अधिग्रहण की योजना का खुलासा हुआ था। उस समय वहां वाम मोर्चे की सरकार ने कहा था कि इस फैक्ट्री से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेंगे। पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
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